आख़िर एक लंबे सूखे के बाद धोनी की टीम ने भारतीय क्रिकेट प्रेमियों को जीत की थोड़ी सी खुशी दे ही दी। वैसे तो मैं इस खेल को बहुत अधिक पसंद नहीं करता हूँ पर यह खेल जिस तरह से बाज़ार का फायदा उठा रहा है या इस तरह से कहें कि अब बाज़ार इसका फायदा उठा रहा है वह सभी के लिए खतरनाक हो सकता है। खिलाड़ियों का प्रदर्शन गिर रहा है और बोर्ड पैसा कमाने के चक्कर में पता नहीं कितने और खेल खेलना चाहता है ? खेल में अगर खेल भावना रहे तो ही वह ठीक स्तर तक रहती है वरना वह बहुत से लोगों की जिंदगी में अँधेरा लाने से भी नहीं चूकती है। अभी एक राष्ट्रीय स्तर की पत्रिका ने क्रिकेट के उन पहलुओं को उजागर किया जिसमें उभरते हुए खिलाड़ियों ने किस तरह से आत्महत्या की ? आज यह तो देखना ही होगा कि खेल की दीवानगी इतनी न हो जाए कि खेलने वाले बच्चों की जान पर बन आए और उनके परिवार के लोगों को जिंदगी भर के दुःख दे जाए ? खेल खेल रहे तभी तक सब अच्छा लगता है पर जब वह इस तरह से जिंदगी लीलने लगे तो उसे क्या कहा जाए ?
निश्चित ही बोर्ड यहाँ पर खेल को मज़बूत करने के लिए है और इसके लिए पैसे की आवश्यकता होती है पर पैसा कितना और किस तरह से कमाया जाए यही बात विचार करने योग्य है। आशा है कि जीत हार के बीच मानवीयता को भी जिंदा रखा जाए जिससे किसी परिवार को किसी के बिछड़ने का ग़म न हो.
मेरी हर धड़कन भारत के लिए है...
भारतीय क्रिकेट टीम को और साथ ही साथ देशवासियों को बधाई एवं शुभकामनाएं।
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