मेरी हर धड़कन भारत के लिए है...

गुरुवार, 30 जुलाई 2009

कैसे कैसे गुरु ?

कल विदिशा मध्य प्रदेश के एक प्राथमिक विद्यालय के गुरूजी ने ऐसा काम किया जो गुरु शिष्य के रिश्ते को कलंकित करने वाला ही कहा जाएगा। प्राथमिक विद्यालय की लड़कियों के कपड़े सिलवाने के बहाने इस कलियुगी गुरु ने छात्राओं के कपड़े उतरवा दिए उस समय तो इन छात्राओं ने अपने स्तर से विरोध किया पर वे उसे ऐसा करने से रोक नहीं पायीं पर घर जाकर जब उन्होंने अपने अभिभावकों से शिकायत की तो पूरे गाँव में आक्रोश आ गया। सवाल यह उठता है कि इन बच्चों को पढ़ने के नाम पर रखा गया व्यक्ति कितना गिर सकता है कि उसे इस बात का भी ध्यान नहीं रहता कि वह किस स्थान पर है और जिनके बारे में वह कुछ ग़लत कर रहा है वह उस पर कितना भरोसा करते हैं ?
सवाल इस बात का अधिक है कि क्या एक पुरूष सदैव ही विपरीत लिंग को मात्र भोगने की वस्तु ही मानता रहेगा ? क्या परिस्थियाँ होती हैं जब मनुष्य या एक नर इस तरह की हरकत करने लगता है ? क्यों नहीं वह समझ पता कि इस दुनिया में और भी बहुत से खूबसूरत रिश्ते होते हैं जो एक पुरूष और स्त्री में हो सकते हैं। लेकिन कौन समझना चाहता है आज तो शायद हर रिश्ता केवल नर मादा में ही इस तरह के लोगों को सिमटता दिखाई देता है ? क्यों नहीं सरकारें नियुक्ति से पहले ही सभी अभ्यर्थियों का मनोवैज्ञानिक परीक्षण भी नहीं करवा लेती जिससे इस तरह के मनो- रोगियों का समय रहते पता चल जाए और समाज में इस तरह की घटनाएँ न होने पायें। एक दो दिन यह बातें टी वी अख़बार में छाई रहेंगीं और फिर सब चुप पर उन छात्राओं पर क्या बीतेगी जिनके साथ यह हुआ वे तो शायद अब पुरूष के पास आने पर ही काँप कर रह जाएँगीं
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