कल गृह मंत्री पी चिदंबरम ने जिस तरह से अपने को आम आदमी के रूप में प्रदर्शित किया वह भारत के इतिहास में अनोखी घटना है। कुछ लोग यह भी कह सकते है की यह सस्ती लोकप्रियता पाने का हथकंडा है परन्तु ऐसा करने का साहस भी आख़िर कितने लोग जुटा पाते हैं ? हैदराबाद में चल रही विश्व बैड मिन्टन प्रतियोगिता से इंग्लैंड की टीम आतंक का खतरा बता कर वापस चली गई थी। ऐसे में भारत के सामने अपने को सुरक्षित दिखाने की चुनौती भी थी। यह सही है की पूरी प्रतियोगिता के दौरान सारा कुछ शांत ही रहा, इसके लिए आयोजक और सुरक्षा कर्मी बधाई के पात्र हैं। दुनिया के सामने यह संदेश देने में कि भारत भी अन्य देशों कि तरह सुरक्षित है इससे बेहतर संदेश कोई और नहीं हो सकता था । अगले वर्ष हमारे यहाँ राष्ट्र मंडल खेलों का आयोजन भी होना है जिसकी सुरक्षा की झांकी भी इस बार विश्व स्तरीय आयोजन से दुनिया को मिल गई।
गृह मंत्री चाहते तो पूरे ताम झाम के साथ हैदराबाद आकर यह मैच देख सकते थे उससे भी यह संदेश तो चला ही जाता कि यह स्थान इतना तो सुरक्षित है ही कि ख़ुद मंत्री आराम से मैच का आनंद उठा सकते हैं। पर शालीन चिदंबरम ने इससे बहुत आगे जाकर सामान्य नागरिक की तरह दिल्ली से हैदराबाद की यात्रा की और हवाई अड्डे से भी टैक्सी लेकर आयोजन स्थल पहुंचे। उन्होंने सामान्य नागरिकों की तरह लाइन में खड़े होकर टिकट खरीदा और कुछ लोगों द्वारा पहचाने जाने पर भी दर्शक दीर्घा में बैठकर मैच देखा। जब बात आयोजकों तक पहुँची तो उन्होंने उनसे विशिष्ट दीर्घा में चलने और विजयी खिलाड़ियों को पुरुस्कार देने का अनुरोध किया इसके बाद ही वे वहां से उठकर गए। देश के गृह मंत्री के साथ बैठकर मैच देखने वाले दर्शक इस अनुभव को कभी अपने से दूर नहीं कर पायेंगें। काश नफ़रत की आग कुछ कम हो जाती और सभी लोग पहले की तरह आराम से कहीं भी आ जा सकते और पूरी दुनिया ही सुरक्षित हो जाती .......
मेरी हर धड़कन भारत के लिए है...
wakaee kabile tareef hai gruh mantriji ka ye kadam.
जवाब देंहटाएंचिदंबरमजी ने तो शास्त्रीजी की याद दिला दी...राष्ट्र की सुरक्षा के इंतजामों पर नजर रखने के लिए ऐसे आकस्मिक निरीक्षणों की बहुत आवश्यकता है..साधुवाद..!!
जवाब देंहटाएं