जिस तरह से स्विस सरकार ने सीधे शब्दों में भारत सरकार को बैंक के खाते धारकों के बारे में जानकारी देने से मना कर दिया है उससे भारत को नए सिरे से सोचना चाहिए। स्विस कानून के अनुसार वे किसी को यह जानकारी नहीं दे सकते पर भारत जैसे देश में जहाँ भ्रष्टाचार पूरी तरह से अर्थ व्यवस्था को ही झटके देने की स्थिति में पहुँच चुका है तो कुछ न कुछ तो करना ही होगा। देश का पैसा कहाँ जा रहा है यह जानने का हक पूरे देश को है। आज के समय में कोई भी देश हमारी बात नहीं टाल सकता है बस हमने इस बात का पूरा फायदा उठाते हुए स्विस सरकार पर पूरा दबाव बनाना चाहिए कि वह हमें बड़े खाता धारकों की सूची सौंपे। इस मामले को हल्ला मचाकर नहीं सुलझाया जा सकता अच्छा हो कि इस पूरे मामले पर ठंडे दिमाग से सोचा जाए और विपक्षी भी इस बात पर केवल हो हल्ला करने से बाज आयें क्योंकि तभी यह संदेश जाएगा कि पूरी संसद ही यह चाहती है। इस बात में दो राय नहीं हैं और न ही होनी चाहिए कि यह कार्य कैसे करना है ? बस नेता मिलकर सोच लें तो सारे काम आसानी से हो जायेंगें पर शायद वोटों का लालच उन्हें बैठने नहीं देता जिससे वे संवेदन शील मामलों पर भी बहुत साधारण सा व्यवहार करते दिखाई देते हैं। भारत सरकार को हर सम्भव काम करके यह पैसा देश में तो लाना ही चाहिए इसके लिए अमेरिका की तरह से पेश बंदी भी करनी पड़े तो कोई हानि नहीं है।
मेरी हर धड़कन भारत के लिए है...
जो सरकार हैं वो काहे अपनी ही गरदन काटेंगे..
जवाब देंहटाएंबिलकुल सही कहा है आपने। मगर इन नेताओं का ही तो पैसा है इन बैंकों मे जो जनता को लूट लूट कर जमा किया है ऐसे मे कोई भी सरकार गंभीर हो कर कैसे कार्य करेगी ।
जवाब देंहटाएंदूध की रखवाली बिल्ली के हाथ में है, जी!
जवाब देंहटाएंडॉ. रूपचन्द्र शास्त्री मयंक जी की बातों से सहमत !!
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