केन्द्र सरकार जल्दी ही एक ऐसा तंत्र विकसित करने जा रही है जिससे देश में होने वाली मोबाइल, लैंड लाइन और ई मेल पर भी सरकार की नज़रें आसानी से जम सकेंगीं। अभी तक जो व्यवस्था चल रही है उसके अनुसार सेवा प्रदाता अपने स्तर से ही यह काम किया करते हैं और आवश्यकता होने पर सरकार को किसी विशेष नम्बर का विवरण दिया जाता है। अब सरकार लगभग ४०० करोड़ रूपये खर्च कर स्वयं ही इन सभी पर निगरानी रख सकेगी। एक तरह से देखा जाए तो देश में बढ़ते आतंकी खतरों के चलते यह सब बहुत ज़रूरी है पर कई बार इसका सहारा लेकर सरकारें अपने विरोधियों पर भी नज़र रखने का काम करना शुरू कर देंगीं। आज के समय में राजनीति जितनी नीचे जा चुकी है उससे तो इस बात की संभावना ही अधिक लगती है कि इसका उपयोग विरोधियों से मोर्चा लेने में ही किया जाएगा। देश की सुरक्षा में जो भी आवश्यक है किया जाना चाहिए पर उसके लिए भी एक सुचारू तंत्र होना चाहिए। इस तरह की गोपनीय सूचनाओं को किसी भी स्तर पर हलके में नहीं लिया जा सकता है। देश के लोगों को भी यह बात समझनी होगी की आज के समय में इसकी आवश्यकता है तथा सरकार को भी इस बात की विश्वसनीयता बनानी होगी की वह अनावश्यक रूप से फ़ोन टेप करने का काम न शुरू कर दे। इतने बड़े देश में लगभग ६० करोड़ उपभोक्ता आज के समय में संवाद के इन विभिन्न तरीकों का उपयोग कर रहे हैं, सभी पर एक साथ नज़र रखने का तंत्र बन जाने से ही काफी कुछ आसान नहीं होने वाला बल्कि नज़र रखने वालों की नज़रें कितनी पैनी हैं सारा कुछ इस बात पर ही निर्भर करेगा ? देश अभी तक कई बार लापरवाही की कीमत चुकाता रहा है। अच्छा हो की इस काम में बहुत ही ऊर्जावान लोगों को लगाया जाए और देश की सुरक्षा को पूरी तरह से ध्यान में रखा जाए।
मेरी हर धड़कन भारत के लिए है...
Jaroori hai.
जवाब देंहटाएंवैज्ञानिक दृष्टिकोण अपनाएं, राष्ट्र को उन्नति पथ पर ले जाएं।