मेरी हर धड़कन भारत के लिए है...

रविवार, 2 अगस्त 2009

मित्रता दिवस

लो आ ही गया फ्रेंडशिप डे ? आज के समय में जब रिश्तों को निभाने के लिए भी किसी खास दिन की ज़रूरत होती है तो आख़िर मित्र को कैसे भूला जा सकता है ? दुनिया में यह एक ऐसा एहसास है जिसे कोई चाह कर भी अलग नहीं कर सकता है। हमारे जीवन में बनने वाले बहुत सारे रिश्ते जब समय के साथ कमज़ोर होते दिखाई देते हैं तो मित्रता का ही एक ऐसा रिश्ता है जो समय के साथ मज़बूत होता चला जाता है। वो कहा जाता है कि हम अपने रिश्तेदार तो नहीं चुन सकते पर अपने मित्र ज़रूर चुन सकते हैं, हमारी किन-किन लोगों से मित्रता है यह इस बात को दिखता है कि हम किस तरह के लोगों के साथ रहना पसंद करते हैं। लोग केवल हमारे मित्रों को देख कर ही अंदाजा लगा लेते हैं कि हम किस तरह के व्यक्ति हैं ? मित्र के साथ हमारे रिश्ते सदैव ही बहुत अच्छे होते हैं हम अपने दिल की सारी बातें उनसे बहुत आसानी से बाँट लेते हैं हमें कभी भी यह नहीं लगता कि वे कोई दूर के सदस्य है ? आज जब छोटी छोटी बातों पर हम टूट जातें हैं तो हमारे मित्र ही हमें उस गहरे अंधेरे से बाहर खींच लाते हैं। अपने रिश्तेदारों के यहाँ जाने में हो सकता है कि लोग समय देख कर जाए पर जब मित्र की बात होती है तो घड़ी ही बेमानी हो जाती है। रिश्तों की खूबसूरती का एहसास तो दोस्ती के रिश्ते से ही पता चलता है .... ईश्वर न करे कि कभी किन्ही दोस्तों के बीच में ग़लत फहमियां फैलें प्रार्थना है कि सदैव ही सब कुछ बहुत आसान रहे और दोस्ती का जज़्बा सलामत रहे।
मेरी हर धड़कन भारत के लिए है...

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