मेरी हर धड़कन भारत के लिए है...

शुक्रवार, 11 सितंबर 2009

सडा अन्न किसके लिए ?

इस वर्ष जब मौसम के चक्र ने किसानों की कमर तोड़ दी है तो पंजाब से अनाज की बर्बादी की खबरें व्यथित कर देती हैं। यहाँ बात उस राज्य की हो रही है जिसे कृषि में देश में अव्वल माना जाता है जहाँ की आधारभूत सेवाएं बहुत अच्छी हैं। यह हाल यदि उड़ीसा,बिहार या उत्तर प्रदेश में होता तो बात समझ में आती थी कि इन राज्यों में बेशक कुछ चीजें अधिक उत्पादित की जाती हैं पर भण्डारण की समस्या के करण यहाँ पर अनाज की कमी जैसी स्थिति बहुत बार उत्पन्न हो जाती है। केंद्रीय कृषि मंत्रालय को राज्यों से यह सुनिश्चित करा लेना चाहिए कि जिस अन्न खरीद वे कर रहे हैं उसका भण्डारण भी सही ढंग से करें। अनावश्यक रूप से खरीद के लक्ष्य पाने की जुगत दोहरा नुकसान पहुंचती है। अन्न खरीदने में खर्च किया पैसा बर्बाद हो जाता है तथा जिस उद्देश्य से यह किया जाता है वह भी पूरा नहीं हो पाता है। इस साल जिस तरह से पहले सूखे ने धान आदि लगाने ही नहीं दिया और अब बचे हुए अनाज पर बारिश का कहर जारी है। कुछ जगहों पर ही शायद फसलें पूरी तरह से हो पायें और इस तरह की बर्बादी देश को कहीं बहार से अनाज मंगाने पर मजबूर न कर दे। आशा है कि सरकारें इन सभी पहलुओं पर भी ध्यान रखते हुए ही आगे के कदम उठाएंगी जिससे देश में लापरवाही के कारण किसी तरह का खाद्य संकट न उत्पन्न पाए। क्या कुछ ऐसा नहीं हो सकता कि भण्डारण की समस्या को सुलझाने के लिए देश में तहसील स्तर पर भंडार गृह बनाये जाए और इनको बनाते समय इस बात का भी ध्यान रखा जाए कि वह स्थान बाढ़ आदि से भी पूरी तरह सुरक्षित हो इससे अनाज को लाने ले जाने का खर्च भी बचेगा तथा मांग पर आसानी से अनाज की उपलब्धता भी सुनिश्चित की जा सकेगी.


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2 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत सही सवाल उठाया है आपने. देश में अन्न के भण्डार भरे पड़े हैं, फिर भी भुखमरी से लोग मर रहे हैं. ये हमारे मिस्मनेज्मेंट का ही नतीजा है. सुझाव अच्छा है.

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