अमेरिकी अन्तरिक्ष यात्री एडवर्ड माइकल फिंके की बात पर यदि भरोसा किया जाए तो भारत का चंद्रयान मिशन काफी सफल रहा है। उनका कहना है कि कुछ लोग भारत की संभावनाओं को कम करके देखने में ही खुश होते हैं पर भारत द्वारा चाँद पर यान भेजा जाना ही अपने आप में "चकित" कर देने वाली घटना है। जो लोग यह कह कर इस अभियान की महत्ता को कम करना चाहते हैं कि यह विफल रहा तो उन्हें कुछ भी नहीं पता है। इस अभियान ने अपना ९५ % काम पूरा कर लिया था उसके बाद ही यह ख़राब हुआ। फिंके दो बार अमेरिका की तरफ़ से अन्तरिक्ष यात्रा कर चुके हैं। उनका कहा कि यह मानना मेरा व्यक्तिगत है पर भारत के पास इसरो में इतनी अच्छी टीम है कि वे दुनिया को इसी तरह से आगे भी चकित करते रहेंगें। उन्होंने कहा कि इसरो और नासा का बहुत पुराना तकनीकी साझा रहा है और इससे बहुत से अच्छे काम करने में सहायता भी मिलती है। दोनों संगठनों के पास प्रतिभाशाली लोगों की कमी नहीं है जिससे ये दोनों ही बहुत अच्छे तरीके से आगे बढ़ते जा रहे हैं।भारतीय मूल की असोम (असम) निवासी नासा की इंजीनियर रेनिता सैकिया के पति फिंके आजकल भारत में पूर्वोत्तर की यात्रा पर हैं। उन्होंने वहां पर लगभग ५००० लोगों से अन्तरिक्ष विज्ञानं से जुड़े अपने ज्ञान को बांटा भी है। देश में पोखरण और अन्य अभियानों के बहुत से आलोचक मिल जायेंगें पर दुनिया हमारे अभियानों को बहुत ही उत्सुकता से देखती है यह तो तय ही है। अच्छा हो कि हम एक दूसरे की टांग खिचाई बंद करके सहयोग की भावना को आगे लायें जिससे हमारी ऊर्जा का सही उपयोग किया जा सके।
मेरी हर धड़कन भारत के लिए है...
आपकी लेखन शैली का कायल हूँ. बधाई.
जवाब देंहटाएंसही कह रहे हैं.
जवाब देंहटाएंयही तो !
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