मेरी हर धड़कन भारत के लिए है...

शुक्रवार, 23 अक्तूबर 2009

झारखण्ड में चुनाव की तैयारी.

आखिरकार कल केंद्रीय मंत्रिमंडल ने झारखण्ड में राष्ट्रपति शासन हटाने और चुनाव कराने के लिए राष्ट्रपति से सिफारिश करने का फ़ैसला कर ही लिया। यह राज्य उस नीति पर बिल्कुल भी खरा नहीं उतरा जिसको लेकर छोटे राज्यों की वकालत की जा सके। अपने शुरूआती समय से ही यहाँ पर राजनैतिक रूप से समस्या खड़ी रही है। एक राज्य जो बहुत सारी आकांक्षाएं लेकर बिहार से अलग हुआ था अपने लक्ष्य को कहीं से भी पाता नहीं लगा। राजनैतिक अस्थिरता ने वहां पर इतनी समस्याएं खड़ी कर दी कि सरकारों का चल पाना ही सम्भव नहीं रहा। फिलहाल तो यह आशा की जा सकती है कि इस बार होने वाले चुनावों में कुछ ठोस सामने आएगा और उसके बाद झारखण्ड में एक बहुत ही स्थिर सरकार बन पायेगी। झारखण्ड के प्राकृतिक संसाधनों के अनुचित दोहन और स्थानीय आदिवासियों की उपेक्षा के चलते ही वहां पर नक्सली समस्या बहुत ज़्यादा बढ़ गई। वहां के भौगोलिक वातावरण ने नक्सलियों को छिपने के लिए बहुत सहायता की। केन्द्र सरकार जिस तरह से नक्सलियों को अलग थलग करने की कोशिश कर रही है यह उस दिशा में एक सही कदम है। अच्छा होगा जब राज्य के फैसले वहां की चुनी हुई सरकार ही करेगी तथा केन्द्र का दखल कम हो जाएगा। इस बात से नक्सलियों को इस बात का दुष्प्रचार करने का अवसर भी नहीं मिलेगा कि केन्द्र राज्य के लोगों को सता रहा है। फिलहाल देश के लिए यह चुनाव बहुत महत्वपूर्ण होने जा रहे हैं क्योंकि इनसे निकलने वाले संदेश से ही नक्सलियों के खिलाफ आगे की रणनीति तय की जा सकेगी।

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