मेरी हर धड़कन भारत के लिए है...

सोमवार, 2 नवंबर 2009

प्रोन्नति सर्वोच्च न्यायालय में...

कल जिस तरह से प्रधान न्यायाधीश के जी बालाकृष्णन ने चार नामों को हरी झंडी दिखा दी और कर्नाटक उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश दिनाकरन के नाम पर विचार करने की बात ही नहीं की उससे तो यही लगता है कि दिनाकरन के खिलाफ कुछ ऐसा अवश्य है जो उनकी प्रोन्नति में बाधा खड़ी कर रहा है। यह सही है कि प्रधान न्यायाधीश ने उनके बारे में बात करने से भी मना कर दिया वे मीडिया से बात नहीं करना चाह रहे थे फिर भी मीडिया उनसे सवाल पूछने से नहीं चूक रहा था। यदि किसी के खिलाफ कोई जांच चल रही है तो उस जांच को पूरी होने तक यदि उसको प्रोन्नति नहीं दी जाती है तो यह एक सामान्य सी प्रक्रिया है। फिर इस मामले में मीडिया पता नहीं क्या जानना चाह रहा था ? एक सामान्य प्रक्रिया के तहत उनके नाम को फिल हाल आगे नहीं किया गया है पर यह भी नहीं कहा जा सकता कि अब उनके नाम पर विचार भी नहीं किया जाएगा ? उनके खिलाफ जो कुछ भी कहा जा रहा है उसके सत्यता की जाँच होने के बाद ही आगे के कदम पर विचार किया जा सकेगा। फिलहाल तो यह मुद्दा शांत हो जाना चाहिए। मीडिया को इस बात का भी ध्यान रखना चाहिए कि वह अनावश्यक सवाल पूछ कर असहज स्थिति न पैदा किया करे। जब एक जांच चल रही है तो उस पर दी गई कोई भी राय जांच को प्रभावित कर सकती है इस बात का भी ध्यान रखा जाना चाहिए।

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