मेरी हर धड़कन भारत के लिए है...

शुक्रवार, 13 नवंबर 2009

नेता और नियम


कल फिर से नेताओं के लिए नियमों की धज्जियाँ उड़ा दी गयीं। उत्तर प्रदेश की मुख्य मंत्री मायावती अपने दल के साथ मेट्रो को हरी झंडी दिखाने नोएडा गई थीं। नोएडा के एक स्टेशन पर उन्हें मात्र मेट्रो को रवाना करना था पर मेट्रो के इतिहास में शायद पहली बार ट्रेन के अन्दर खाने पीने की व्यवस्था की गई थी। यदि माया का कार्यक्रम इतना व्यस्त था तो यह काम स्टेशन पर भी किया जा सकता था ? माया को जिस तरह से नियमों की धज्जियाँ उड़ाना , कोर्ट की अवमानना करना अच्छा लगता है उसको देखते हुए यह भी ठीक ही था। देश का आम नागरिक जो पैसे देकर इस मेट्रो में यात्रा करता है उसे खाने पीने की चीज़ें लेकर चलने की मनाही है और नेता जब चाहे तब ट्रेन के अन्दर ही पाँच तारा व्यवस्था का भोजन करते रहें ? आख़िर इस अनुमति को किसके स्तर से दिया गया ? क्या मेट्रो ने यू पी में घुसते ही अपने नियमों में बदलाव कर लिया कि दिल्ली वाले तो नहीं खा सकते पर नोएडा वाले खा सकते हैं ? इस व्यवस्था को बनाने और ख़त्म करने के लिए मेट्रो को कितने समय तक रोक कर रखा गया होगा किसी के पास इसका उत्तर नहीं है। देश का पैसा लगाकर बनाई गई सार्वजनिक परिवहन सेवा को इस तरह से नेताओं के खाने पीने के इंतजाम में फंसा कर रखना किस मानसिकता को दिखता है ? मुझे नहीं पता कि कितनी बार उदघाटन के अवसर पर मेट्रो में इस तरह से खाने पीने की व्यवस्था आज तक की गई है फिर भी अगर यह परम्परा पहले से चल रही है तो इसे अविलम्ब बंद कर दिया जाना चाहिए और नेताओं के अहम् की संतुष्टि के लिए मेट्रो मुख्यालय में उनके लिए स्वागत की व्यवस्था होनी चाहिए।
मेरी हर धड़कन भारत के लिए है...

3 टिप्‍पणियां:

  1. नेताओं के लिए नियम 'भी' होने चाहिए मैं ऐसा नहीं मानता।

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  2. ये नेता ही नही होने चाहिये .....साँप भी मर जाये और लाठी भी न टूटे.............

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  3. माया की माया से पार पाना नामुमकिन है. ये कुछ इस जमात के नेता देश के लिए अभिशापित कलंक है

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