मेरी हर धड़कन भारत के लिए है...

गुरुवार, 7 जनवरी 2010

जाना सुतोमू यामागुची का...

९३ वर्ष के सुतोमू यामागुची जो कि सरकारी तौर पर हिरोशिमा और नागासाकी परमाणु हमलों के समय मौजूद रहने वाले एक मात्र जीवित व्यक्ति थे का कल देहांत हो गया. वैसे तो उनके जैसे लाखों लोगों ने उस परमाणु विभीषिका को झेला और जिया था. लाखों लोग तो उसी समय ही मारे गए थे और बचे हुए लाखों लोगों ने तिल तिल करके मृत्यु को आते देखा था. सुतोमू को जापानी सरकार ने भी आधिकारिक रूप से उन दोनों हमलों के समय दोनों शहरों में होना और दोनों ही जगह बच जाने का प्रमाण दिया हुआ था. सच है इस दुनिया से सुतोमू का जाना कुछ वैसा ही है जैसे कोई परी कथा सुनाने वाला व्यक्ति जिसने परियों को ख़ुद भी देखा हो उसका देहांत हो जाये. जापान में परमाणु विभीषिका के शिकार लोगों को हिबाकुशा कहा जाता है और इनके इलाज आदि की ज़िम्मेदारी सरकार ही निभाती रही है. इनकी अन्येष्टि भी सरकारी खर्चे से ही की जाती है. पिछले महीने टाइटैनिक और अवतार के निर्देशक जेम्स कैमरोन ने अस्पताल में सुतोमू से भेंट की थी. अब इस बात की अटकलें लगायी जा रही हैं कि जेम्स शायद इन दोनों परमाणु हमलों पर कोई फिल्म बनाना चाह रहे हैं उसी के सिलसिले में उन्होंने सुतोमू से भी भेंट की थी. फिलहाल चाहे जो जो हो सुतोमू की मौत से वास्तव में वो अध्याय बंद हो गया जो कि मानवता के विकास के नाम पर एक बहुत बड़ा कलंक था फिर भी क्या मानव अपनी महत्वाकांक्षाओं को छोड़कर दूसरे देश के लोगों को कभी मानव जैसा समझ पायेगा ? क्या कभी ऐसा हो सकेगा कि हिरोशिमा-नागासाकी के हमलों में मरने वालों को मानव जाति वास्तव में परमाणु हथियार और अन्य विनाशक हथियारों से दुनिया को मुक्त करके सच्ची श्रद्धांजलि दे पायेगी ? क्या कभी ऐसा होगा कि भविष्य में इस तरह से कोई किसी विभीषिका को झेलने वाले अंतिम व्यक्ति के मरने पर इस तरह से पोस्ट नहीं लिखेगा ? पता नहीं पर भविष्य उज्जवल हो इसके लिए हम सभी मिलकर प्रयास तो कर ही सकते हैं. सोच सकते हैं सही दिशा में जिससे कोई कलंकित करने वाली घटना फिर से इस दुनिया में न होने पाए......

मेरी हर धड़कन भारत के लिए है...

1 टिप्पणी:

  1. कामना करते हैं कि ऐसी पोस्ट फिर से लिखने की कभी नौबत न आये धन्यवाद इस जानकारी और आलेख के लिये

    जवाब देंहटाएं