देर से ही सही पर पाक के प्रधान मंत्री ने इस बात को मान ही लिया कि भारत के साथ युद्ध का खतरा मोल नहीं लिया जा सकता है. यह सही है कि आज के समय में कोई भी युद्ध बहुत जल्दी ही निर्णायक स्थिति में पहुँचने में देर नहीं लगेगी. पाक को यह भी पता है की भारत की सामरिक तैयारियां अब बहुत आगे तक जा चुकी हैं और समय आने पर सरकार कुछ भी कर सकती है . जिस तरह से पाक २६/११ के हमलों पर राजनीति कर रहा है उससे भारत का विश्वास पाक पर कम ही होता चला जा रहा है. कोई भी निर्वाचित सरकार जन मानस कि अवहेलना करके बहुत दिनों तक सरकार में नहीं रह सकती है यह बात मनमोहन सरकार भी जानती है. २६/११ ने देश को आतंक के खिलाफ खड़ा कर दिया था और उसके नाम पर अब भी देश कोई क़ुरबानी देने को तैयार है.
पाक एक तरफ जहाँ भारत से बात करने का हामी है वहीँ कश्मीर में अपनी काली करतूतों को गृह युद्ध कहने से बाज़ नहीं आता है. सच यह है कि कश्मीर में जनता कोई जितने अधिकार मिले हुए हैं उतने तो पूरे पाक में भी किसी को नसीब नहीं हैं. देश में क्या चल रहा है यह पाक कभी समझ ही नहीं पाया है क्योंकि उसका जन्म ही घृणा पर हुआ है उसने मानवीयता के सारे पहलू भुला रखे हैं. आज के समय में अमेरिका की दोहरी नीतियों के कारण पाक खुल कर आतंकियों के साथ खड़ा है और वहां पर खुले आम सरकार को चुनौती दी जा रही है. अब भी समय है कि पाक अपने दोगलेपन को छोड़ कर सही मायने में भारत से दोस्ती कर ले क्योंकि किसी भी क्षेत्र में अब वह भारत के मुकाबले नहीं आ सकता है और जब उसे अपनी वास्तविकता पता है तो उसे स्वीकार कर के एक नयी शुरुआत करने में कोई बुराई नहीं है क्योंकि इस सारे मसले में सबसे ज्यादा पाक का आम आदमी पिस रहा है जिसने सपना देखा था कि पाक एक स्वर्ग जैसा होगा पर वह वास्तव में एक बुरे नर्क से भी गया बीता साबित हो रहा है.
मेरी हर धड़कन भारत के लिए है...
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें