मेरी हर धड़कन भारत के लिए है...

शुक्रवार, 22 जनवरी 2010

वाह रे सरकार ...

कल लखनऊ में सरकार ने जिस तरह से राज्य कर्मचारियों के प्रदर्शन को रोकने की कोशिश की उसकी कोई आवश्यकता नहीं थी. जब हर छोटी बात के लिए कोई भी इस देश में प्रदर्शन कर सकता है तो सरकारी कर्मचारियों को इससे अलग कैसे रखा जा सकता है ? प्रदर्शनों को कुचलने में सरकारें पुलिस का बिलकुल उसी तरह से उपयोग करती हैं जैसे अंग्रेज़ किया करते थे. हो भी क्यों न आखिर सत्ता के साथ दमन करना खुद ही आ जाता है. हो सकता है कि राज्य कर्मचारियों की मांगें नाजायज़ हों पर उस स्थिति में भी क्या इस तरह की हरकत की जानी चाहिए. सबसे शर्मनाक यह है कि पता नहीं किसके आदेश का पालन करते हुए पुलिस जवाहर भवन के अन्दर तक जा घुसी और अन्य सरकारी भवनों में भी अन्दर तक घुसकर कर्मचारियों की पिटाई की गयी. लगता है कि इससे ज्यादा सरकारी गुंडई कुछ और हो भी नहीं सकती है कि जो सरकार अपने कर्मचारियों को अति सुरक्षित भवनों में अन्दर भी पिटवा सकती हो तो उससे न्याय की क्या आशा की जाये ?
फिलहाल तो यह चिंता का विषय है कि कोई सरकार इस तरह की हरकत कैसे कर सकती है ? कभी सरकार ने माननीय विधायकों को वेतन बढ़ाने  के मुद्दे पर घेरने की कोशिश की है ? कभी सरकार ने यह कहा की उसके पास धन की कमी है इसलिए वह आगे से मूर्तियाँ नहीं लगवायेगी ? कभी सरकार ने किसी गरीब के आंसूं पोछने के लिए अपने खजाने से पैसे निकले ? क्या कारण है कि किसी दलित के घर राहुल गाँधी के रुकने से सरकार की धड़कने बढ़ जाती हैं और उनकी आलोचना करने के लिए खुद सरकर की मुखिया ही आगे आ जाती हैं ? भाई हमें क्या आपके कर्मचारी हैं चाहे जैसे रखो पीट पीट कर अधमरा भी कर दो तो क्या ? पर यह ध्यान रखना की मौका मिलते ही यही कर्मचारी अपनी हदों में ही रहते हुए अच्छों अच्छों को नाकों चने चबवा चुके हैं. सूबे में केवल वीर बहादुर की सरकार को छोड़ कर हर सरकार ने कर्मचारियों के आगे घुटने हमेशा ही टेके हैं.... 
 


मेरी हर धड़कन भारत के लिए है...

1 टिप्पणी:

  1. Baghpat me pulish bharti ke medical me 20 hajar ka rate chal raha hai,yani 20 hajar dene ke baad tum Baspa sarkaar me noukri pane ke liye test de sakoge, vah bhai vah, janta bhi chupchap shosan ka shikaar ho rahi hai, adhikari kehte hai Lakhnow tak dena padta hai bhai.....

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