जैसा कि हम सभी जानते हैं कि वर्ष के इस हिस्से में उत्तर भारत में बहुत व्यापक रूप से कोहरे का असर रहता है. अभी तक हमारे देश में कोई ऐसी प्रणाली नहीं विकसित की जा सकी है जो इस मौसम की मार से परिवहन के साधनों को बचा सके और विमान, रेल तथा सड़क पर चलने वाले यातायात को अच्छी तरह से चलाया जा सके. वैसे तो मौसम कि यह मार इस बार कई सालों के बाद पड़ी है वर्ना एक दो दिन कोहरा होकर समाप्त हो जाता था. इस वर्ष संभवतः १९९८ के बाद सबसे अधिक कोहरा दिखाई दिया है. वैसे तो इस बात के आंकड़े मौसम विभाग के पास बेहतर होंगें. विमान और रेल परिचालन तो नियंत्रित संख्या में ही होता है उसके नियंत्रण के लिए अभी तक कोई व्यवस्था नहीं हो पाई है तो सड़क पर चलने वालों की कौन सुनने वाला है ? देश ने चाँद तक अपने यान को भेजने में सफलता तो प्राप्त कर ली पर अभी ज़मीन पर हर मौसम में चलने के लिए पूरी व्यवस्था नहीं हो पाई है. अच्छा हो कि देश में जो भी नए अविष्कार हो भले ही वे कितने ही छोटे स्तर पर किये गए प्रयास हों सभी का परीक्षण अलग अलग स्थानों पर करने का प्रयास होना चाहिए क्योंकि हो सकता है कि कोई अंजाना सा व्यक्ति भी अपनी जिज्ञासा के कारण कुछ ऐसा बनाने में सफल हो गया हो जो सड़क पर चलने वालों को बहुत राहत दे सके.
आज हम सभी को सड़क सुरक्षा पर बहुत ध्यान देने कि ज़रुरत है. जैसा कि हमें पता है कि सर्दी का यही मौसम उत्तर भारत में गन्ने का भी मौसम होता है इसी समय चीनी मिल भी चल रही होती हैं. गन्ने को एक स्थान से दूसरे स्थान पर लाने ले जाने के लिए कितने जर्जर वाहनों का प्रयोग किया जाता है यह किसी से भी छिपा नहीं है. इन वाहनों में सुरक्षा के सभी मानकों की अनदेखी की जाती है जिसके कारण कोहरे में और अधिक दुर्घटनाएं होने लगती हैं. यदि सभी वहां पूरी तरह से नियमों का पालन कर रहे हों तो भी कोहरे में दुर्घटना हो जाती है फिर बिना किसी सुरक्षा नियमों परवाह किये चलने वाले ये वाहन साक्षात् यमराज बनकर सड़क पर सरपट दौड़ते रहते हैं. अच्छा हो कि हम सभी अपनी गति पर नियंत्रण करें और सभी नियमों का पालन करें.
मेरी हर धड़कन भारत के लिए है...
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