तमिलनाडु के एक मामले में सर्वोच्च न्यायालय ने यह आदेश देकर इस मामले को ख़त्म ही कर दिया है कि मुस्लिम औरतों के फोटो खींचने की इस्लाम में मनाही है. यह सही है की इस्लाम के अनुसार औरतों को परदे में रहना चाहिए पर आज के इस युग में जब लड़कियां पढ़ाई में रोज़ नए कीर्तिमान स्थापित करती जा रही हैं तो किस प्रयास के तहत उनको इन सबसे वंचित किया जा रहा है ? क्या अभी तक हज करने जाने वाली मुस्लिम महिलाओं के फोटो नहीं खींचे जाते थे ? क्या विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं में बैठने वाले बच्चों के फोटो नहीं लिए जाते ? क्या मुस्लिम शादियों में भले ही घरेलू स्तर पर ही सही क्या आज फोटो नहीं लिए जाते ? फिर केवल एक बात कि मतदाता पहचान पत्र के लिए फोटो खींचना इस्लाम के खिलाफ है कैसे सही हो सकता है ? न्यायालय ने बिलकुल सही निर्णय देते हुए कहा है की यदि वे अपनी फोटो नहीं खींचना चाहते तो वोट देने की भी क्या ज़रुरत है ? सभी जानते हैं कि मतदाता सूचियों का क्या हाल है इस देश में कौन जा कर किसे देख रहा है और कौन बेपर्दा हुआ जा रहा है ? ईरान में अधिकांश महिलाओं के चेहरे खुले रहते हैं पर उनका बाकी शरीर ढका रहता है तो क्या उन महिलाओं को बेपर्दा या इस्लाम विरोधी मान लिया जाना चाहिए ? नहीं वे अपने धर्म का अच्छे से पालन करते हुए दुनिया के साथ कदम मिला कर चल रही हैं. फिर भारत में क्यों किसी महिला को इस तरह के बंधनों में जकड़ने का प्रयास किया जा रहा है ?
आज मुरादाबाद की खुशबू मिर्ज़ा इसरो में वैज्ञानिक है तो क्या परदे में रहकर ? उसे किसने सलाह दी थी कि तुम इतने आगे तक जाने की सोचो ? मुस्लिम भी बाकि अन्य धर्मों के अनुयायियों के बराबर हैं बस उन्हें इस तरह के अनावश्यक बंधनों से मुक्त कर देने की ज़रुरत है . क्या कारण है कि भारत सरकार को केवल अल्पसंख्यकों के लिए अलग से विकास की बात करनी पड़ती है ? यह हम सभी जानते हैं कि जब अल्पसंख्यकों के बारे में बात होती है तो अधिकांश वह मुस्लिमों की ही बात होती है ? किसी ने कभी सोचा कि मुस्लिम क्यों इतनी मेहनत करके भी परेशान क्यों हैं ?? क्योंकि वहां पर शिक्षा की कमी है बिना शिक्षा के उचित प्रसार के आगे बढ़ने की बात भी बेमानी होती है इसे जितनी जल्दी समझ लिया जाये वही अच्छा है.
मेरी हर धड़कन भारत के लिए है...
बड़े भाई! आप ने लिखा है...
जवाब देंहटाएंमुस्लिम औरतों के फोटो खींचने की इस्लाम में मनाही है. यह सही है की इस्लाम के अनुसार औरतों को परदे में रहना चाहिए।
ये दोनों ही बातें गलत हैं। कुरआन के मुताबिक इन दोनों के लिए कोई बाध्यता नहीं है।
मुस्लिम समाज आज बदल रहा है यही उलेमाओ की चिंता है वे नहीं चाहते मुस्लिम औरते नई दुनिया में खुलके साँस ले सके दुर्भाग्य है, सोनिया गाँधी मीरा कुमार ममता बेनर्जी की सत्ता में भी मुस्लिम औरतो को आजादी मिलती नजर नहीं आ रही, सब वोट का पंगा है भाई
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