मेरी हर धड़कन भारत के लिए है...

रविवार, 4 अप्रैल 2010

पहला हिन्दू धर्म-दर्शन विश्वकोष

                         चित्र बी बी सी हिंदी से साभार

आज जब पूरी दुनिया में धर्मों के प्रति शंकाएं और पूर्वाग्रह बढ़ते ही जा रहे हैं तो ऐसे में हरिद्वार कुम्भ के अवसर पर विश्व के पहले हिन्दू धर्म और दर्शन पर विश्वकोष का लोकार्पण किया जाना अपने आप में बहुत बड़ी उपलब्धि है. आज के समय में जब हिन्दू धर्म के बारे में दुनिया के लोग और अधिक जानना चाहते हैं तो इस तरह के प्रयास धर्म के वास्तविक स्वरुप को दिखाने में और लोगों की जानकारी और शंकाओं को मिटाने में भी सहायक होंगें. अभी तक विश्व के सभी प्रमुख धर्मों के विश्वकोष उपलब्ध थे पर हिन्दू धर्म के बारे में कहीं एक स्थान पर इतनी जानकारी को कभी नहीं सहेजा गया था. हिन्दू धर्म में इतने अधिक मत- मतान्तर होने के कारण किसी भी ऐसे प्रयास में बहुत बाधा आती थी कि किस बात को समाहित किया जाये और किसे छोड़ दिया जाये ? हिन्दू धर्म को सदैव सनातन धर्म कहा गया है अर्थात जो निरंतर है वही सनातन है. यहाँ पर कितने ही लोगों के विचार समय के साथ जीवन का एक अटूट हिस्सा बनते चले गए यह बात सनातन धर्म के बारे में पढ़कर जानी जा सकती है. यहाँ पर सभी को अपनी बात कहने का और विवेक पूर्वक निर्णय करने का अधिकार सदैव ही मिला है जिसके कारण यह इतने लम्बे समय तक अपनी विरासतों को सहेजे हुए है.
   इस अवसर पर शामिल हुए लोगों में दलाई लामा, स्वामी रामदेव, विभिन्न धर्मों के और प्रमुख लोगों ने इस तरह के प्रयास की सराहना की. आशा है कि भारतीय संस्कृति शोध संस्थान ऋषिकेश के प्रमुख प्रयास और अन्य हिन्दू दर्शन से जुड़ी संस्थाओं एवं व्यक्तियों कि लगन से तैयार यह विश्वकोष आने वाले समय में और अधिक बातों को सनातन धर्म की तरह ही अपने में समाहित करता रहेगा. सारे समारोह में सबसे चुभने वाली बात जो लोगों को लगी कि इस ग्रन्थ का प्रकाशन अभी केवल अंग्रेजी भाषा में ही किया गया है जबकि अभी भी बहुत से सनातन धर्म के अनुयायी भी अपने धर्म के वास्तविक स्वरुप से पूरी तरह से परिचित नहीं है. आशा है शीघ्र ही इसके अन्य भारतीय एवं विदेशी भाषाओँ के संस्करण भी प्रकाशित होंगें और यह अपने उद्देश्य में सफलता अर्जित करेगा.   

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2 टिप्‍पणियां:

  1. हिन्दू धर्मं का सारा ज्ञान एक विश्वकोश में समाहित करना... अपने आप में बहुत मुश्किल काम रहा होगा... इस प्रयास की निश्चित ही प्रशंसा होनी चाहिए.

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  2. हिन्दू विश्व कोष कहा से उप्लाव्द होगा जानकारी दे

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