मेरी हर धड़कन भारत के लिए है...

शनिवार, 15 मई 2010

पाक की नीलम घाटी फिर अशांत

बी बी सी की एक रिपोर्ट के अनुसार पाक अधिकृत कश्मीर की नीलम घाटी में एक बार फिर से आतंकियों की घुसपैठ बढ़ गयी है जिससे स्थानीय निवासियों के साथ भारत की चिंता बढ़ गयी है. रिपोर्ट में कहा गया है कि जो भी लोग यहाँ आ रहे हैं वे कश्मीरी नहीं हैं पर उनकी पोशाक स्थानीय और दाढ़ी बढ़ी हुई है और ये कतारों में नियंत्रण रेखा की तरफ जाने में लगे हुए हैं. स्थानीय निवासियों के अनुसार ये लोग फिर से भारत में घुसने की कोशिश करेंगें जिससे इस इलाक़े में फिर से तनाव बढ़ जायेगा और भारत की तरफ से होने वाली गोलीबारी भी तेज़ हो जाएगी जिससे सबसे ज्यादा परेशानी स्थानीय निवासियों को ही होने वाली है.
       उल्लेखनीय है कि २००२ में मुशर्रफ ने नीलम घाटी में आतंकियों कि गतिविधियों पर प्रतिबन्ध लगा दिया था जिसके बाद यहाँ भाड़े के विदेशी इस्लामी आतंकियों के आने जाने में बहुत कमी आ गयी थी पर पिछले दो वर्षों से यह घाटी फिर से आतंकियों के लिए मनपसंद जगह बनती जा रही है. अब यहाँ के लोगों को आतंकियों की उपस्थिति का अंदाज़ा हो रहा है और वे पिछले कुछ वर्ष इनके बिना अच्छे से जीकर देख चुके हैं तभी पिछले दिनों स्थानीय निवासियों ने इन चरमपंथियों के खिलाफ प्रदर्शन किया था. पाक अधिकृत कश्मीर में आतंकियों के खिलाफ प्रदर्शन होना अपने आप में बहुत बड़ा परिवर्तन है. पर ऐसा भी नहीं है कि सारा कुछ वहां के लोगों के अनुसार ही चल रहा हो क्योंकि सरकारों के लिए पाक अधिकृत कश्मीर ही सबसे सुरक्षित जगह है जहाँ पर वे आतंकियों को आसानी से ट्रेनिंग दे सकती हैं क्योंकि वहां की भौगोलिक स्थिति भी कश्मीर जैसी ही है.

       अब जब भारत पाक फिर से इस्लामाबाद में मिलने की घोषणा कर चुके हैं तो ऐसे में आतंकियों की गतिविधियाँ इतने व्यापक स्तर पर बढ़ने से क्या विश्वास का माहौल बन सकेगा ? पाक अपनी नापाक हरकतों से कभी भी बाज़ नहीं आने वाला है और जब तक पाक के खिलाफ धरातल पर कुछ ठोस नहीं किया जायेगा तो वह एक तरफ बातचीत की नौटंकी चलाना चाहेगा और साथ ही आतंकियों को कश्मीर में भेजकर अपने को इस्लामी मूल्यों का हितैषी भी साबित करने का प्रयास करता रहेगा. भारत को बातचीत के स्थान पर न मुद्दों को उठाकर पाक पर दबाव बनाने का प्रयास तो करना ही होगा तभी भारत के साथ पूरा दक्षिण एशिया सुरक्षित रह सकेगा. 
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