मेरी हर धड़कन भारत के लिए है...

रविवार, 30 मई 2010

वाह रे परीक्षा ?

परिवार कल्याण विभाग उत्तर प्रदेश द्वारा १२ जून को स्वस्थ्य कार्यकर्ता हेतु प्रवेश परीक्षा आयोजित की जा रही है. जिसमें प्रदेश के बड़े शहरों में परीक्षा केंद्र भी बनाये गए हैं. इस परीक्षा के लिए जो प्रवेश पत्र अभ्यर्थियों को दिए गए हैं उनमें किसी भी तरह से परीक्षा केन्द्रों के नाम पूरी तरह से नहीं भरे गए हैं. इस परीक्षा के केन्द्रों की पूरी सूची विभाग ने अपनी वेब साइट पर भी डाल रखी है. इस परीक्षा के आयोजकों ने इस बात के बारे में विचार ही नहीं किया कि किसी दूर दराज़ से आने वाले अभ्यर्थी के लिए केवल केंद्र का नाम बताकर बड़े शहरों में उसे ढूंढना कितना कठिन काम होगा ? केन्द्रों के नाम के साथ उस इलाके का नाम भी लिखा जाना चहिये जिसके अंतर्गत यह पड़ता है पर यहाँ पर इस बात का किसी ने भी ध्यान नहीं रखा.
 इतने बड़े शहर और राजधानी लखनऊ की बात ही की जाये तो कितने लोग किसी भी विद्यालय का नाम बता कर उसकी स्थिति बता पायेंगें ? जो बच्चे अपने अभिभावकों के साथ यह परीक्षा देने के लिए लखनऊ आने वाले हैं वे किस तरह से इन केन्द्रों को ढूंढ पायेंगें ? शायद यही हाल पूरे प्रदेश में केन्द्रों का होगा ? एक प्रवेश परीक्षा जिसमें प्रदेश के नागरिक भाग ले रहे हैं और उसकी इतनी लचर तैयारी की जा रही हो तो पूरी परीक्षा के स्तर के बारे में समझा ही जा सकता है ? फिलहाल तो जब प्रवेश पत्र भेजे जा चुके हैं तो इस में किस तरह से सुधार किया जा सकता है यह सोचने का विषय है फिर भी अभी समय है अगर विभाग चाहे तो अपनी वेब साईट पर केन्द्रों के पूरे पते को डाल  सकता है जिससे जिन लोगों  को पता नहीं चल पा रहा हो वे भी अपने केन्द्रों के बारे में सही जानकारी प्राप्त कर सकें.
              एक बात यह समझ में नहीं आती है की इतने बड़े स्तर पर नौकरियों के आवेदन मांगते समय और सारी प्रक्रिया चलाते समय इन मामूली बातों का कोई भी ध्यान नहीं रखना चाहता. इस विभाग के अधिकारियों से ही अगर यह पूछ लिया जाये कि ज़रा केवल लखनऊ में ही १० ऐसे केन्द्रों का पता बता दें जिनका पूरा पता लिखने की ज़हमत उन्होंने नहीं उठाई है तो उनकी असलियत का पता चल ही जायेगा. अफ़सोस होता है  ऐसी व्यवस्था पर जो कहने को पूरा विभाग है पर उसे चलाने वालों के पास मामूली सी समझ की भी कमी है ?  फिर भी जिसे आना है वह गिरता पड़ता आ ही जायेगा और अपने माध्यमों से पता भी कर लेगा पर किसी विभाग के इस तरह से काम करने को क्या कहा जा सकता है ? क्या विभाग चाहता है कि आधे से अधिक लोग परीक्षा ही न दे पायें और उनका काम आसान हो जाये ?           

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