मेरी हर धड़कन भारत के लिए है...

सोमवार, 31 मई 2010

नेता नौटंकी...

आखिरकार झारखण्ड में नेताओं की नौटंकी का पर्दा पड़ ही गया. अभी तक जिस तरह से शिबू सोरेन कुर्सी से चिपके हुए थे उससे तो यही लगता था की अभी यह मामला और खिंचने वाला है पर किसी भी दल द्वारा उनको समर्थन न दिए जाने से आखिर कार उनकी कुर्सी चली ही गयी. एक नया राज्य जो अपने बनने के समय से ही राजनैतिक संकट झेलता आ रहा है आखिर कब तक अपने पिछड़ेपन और नेताओं की कमियों के कारण और पीछे जाता रहेगा ? आज भी समय है कि देश में कुछ ऐसा किया जाये कि दो बार इस तरह से स्पष्ट बहुमत के अभाव में एक साधारण सा काम किया जाये कि जिसको जितनी सीटें मिली हैं उनको ध्यान में रखकर एक सर्वदलीय सरकार बना दी जाये जिससे सरकार के संसाधन बचें और जनता को भी फालतू के चुनावों से मुक्ति मिल सके. आख़िर जब अपनी सुविधा के लिए ये नेता अपने विचारों का त्याग कर देते हैं तो देश और राज्य के हित में इस तरह से करना बहुत सही कदम होगा.
     राजनीति ने आज तक देश को बहुत कुछ दिया है पर इन राजनीतिज्ञों के कारण देश को क्या कुछ झेलना पड़ा है यह भी किसी से छिपा नहीं है. अब समय है कि इस बारे में विचार किया जाये कि आख़िर जब नेता यही कहते हैं कि उन्होंने यह कदम देश हित में उठाया है तो अब समय है वे झारखण्ड में वास्तव में देश हित में एक सर्व दलीय सरकार बनायें जिसमें सारे काम सहमति के आधार पर किये जाएँ. पर जब हर एक की नज़र मुख्यमंत्री की कुर्सी पर जमी हों तो कौन किसी देश और राज्य के बारे में सोचना चाहता है. जैसा कि हम सभी जानते हैं कि आदिवासी बाहुल्य झारखण्ड में भी नक्सली गतिविधियाँ जारी है और ऐसे में जब देश नक्सलियों और माओवादियों के हमले झेल रहा है झारखण्ड में अस्थिर सरकार और भी घातक हो सकती है क्योंकि अधिकारी अपने स्तर से कोई भी फैसला नहीं लेना चाहेंगे और बिना सही फैसलों के किस तरह से पूरे प्रभावित क्षेत्र में सही अभियान चलाया जा सकेगा.
                फिलहाल समय की मांग को देखते हुए इन सभी नेताओं को यह बात समझ लेनी चाहिए कि अभी भी समय है और उन्हें अपने क्षुद्र स्वार्थों के आगे जनता को बलि का बकरा नहीं बनाना चाहिए. फिल हाल विकास की बाट जोहता झारखण्ड पता नहीं कितने और नाटक देखने को मजबूर होने वाला है ?    

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