कल जिस तरह से त्रिची के एयर स्पेस में इंडियन और जेट के विमान खतरनाक तरीके से एक दूसरे के सामने आ गए उससे लगता है कि वर्तमान में भारतीय हवाई यात्रायें कुछ हद तक असुरक्षित हो चली हैं. वैसे तो दोनों पायलटों की सूझ-बूझ से २४२ यात्रियों की जान तो बच गयी पर इस तरह से पिछले एक पखवाड़े में इस तरह से निरंतर होने वाली घटनाओं ने चिंता को बढ़ा अवश्य दिया है. यह सही है कि कल के हादसे में किसी एक पक्ष की गलती तो ज़रूर रही होगी भले ही वो ज़मीन से ए टी सी से हो या विमान के पायलटों से ? आख़िर क्या कारण है कि इस तरह की घटनाओं में अचानक ही बहुत वृद्धि हो गयी है ? अभी ४ जून को मुंबई में भी ऐसा ही कुछ होने से बच गया था जब एक ख़राब खड़े विमान को हटाने से पहले ही उसी रन वे पर दूसरे को उतरने की अनुमति दे दी गयी थी ?
यह सही है कि ए टी सी का काम बहुत तनाव भरा होता है उन्हें हर पर हवा में उड़ते हुए हर एक विमान पर नज़र रखनी होती है फिर भी कभी किसी तकनीकी खराबी या मानवीय भूल के कारण इस तरह की घटनाएँ सामने आ जाती हैं जिनमें कुछ पलों में ही बहुत सारी जिंदगियां खतरे में आ जाती है ?
अब जिस तरह से भारत में हवाई यातायात बढ़ रहा है शायद उस तरह से उसको संचालित करने के लिए हमने पूरी तैयारी कर ही नहीं रखी है ? क्योंकि आज के मुकाबले कल यह और बढ़ने वाला है पर हम केवल हवाई अड्डों पर ज्यादा ध्यान दे रहे हैं. आज जसी तरह से भारत में जीवन स्तर सुधर रहा है उसको देखते हुए भविष्य में हवाई यातायात और अधिक बढ़ने वाला है और जिसके लिए अभी से पूरी तैयारी करने की ज़रुरत है. सबसे पहले हमें इस बात पर ध्यान देने होगा कि किस तरह से काम के दबाव को कम किया जाये ? मानकों के अनुसार जितने लोगों की आवश्यकता है उनको नियुक्त भी किया जाये साथ ही विमान उड़ने के लिए कड़े दिशा निर्देश भी बनाये जाएँ क्योंकि बिना उनके कहीं से भी हवाई यात्रा को सुरक्षित करने के सभी प्रयास बेकार ही साबित हो जायेंगें. तकनीकी स्तर पर जो भी आवश्यकताएं हैं उनको प्राथमिकता के आधार पर जुटाया जाना चाहिए, हवाई अड्डों पर उड़ने और उतरने के लिए पूरी सुविधाएँ होनी चाहिए, अनुभवी स्टाफ से काम लिया जाना चाहिए और काम के घंटे काम के समय के अनुसार निर्धारित किये जाने चाहिए क्योंकि सुबह शाम काम का दबाव अधिक होता है और दिन व रात में कुछ कम..... आशा है कि इसके लिए ज़रूरी सभी संसाधनों को जुटा कर हवाई यात्रा को सुखद बनाये जाने का प्रयास निरंतर चलता रहेगा.
मेरी हर धड़कन भारत के लिए है...
आईये जानें .... मन क्या है!
जवाब देंहटाएंआचार्य जी
अभी से पूरी तैयारी करने की ज़रुरत है
जवाब देंहटाएंसही कहना है आपका
जवाब देंहटाएंजहाजो की संख्या तो बढते जा रही है
लेकिन उस हिसाब से जमीनी संसाधन नहीं बढाए गए है।
अब तो डर लगने लगा है कि कब हादसा हो जाए।