गुरुवार, 15 जुलाई 2010
नक्सली और एकीकृत कमान
आख़िर कार चार राज्यों छत्तीसगढ़, झारखण्ड, ओडिशा और पश्चिम बंगाल इस बात पर राज़ी हो गए कि नक्सली समस्या से निपटने के लिए उनके यहाँ एकीकृत कमान बनायीं जाये. कल प्रधानमंत्री की पहल पर नक्सल प्रभावित राज्यों के मुख्यमंत्रियों और प्रतिनिधियों कि बैठक के बाद यह निष्कर्ष निकल कर सामने आया. इन राज्यों में मुख्य सचिव इस कमान के प्रमुख होंगें और इसमें सेना के सेवा निवृत्त अधिकारियों को भी शामिल किया जायेगा. अभी तक राज्यों और केंद्रीय पुलिस बल के बीच समन्वय की कमी के चलते ही कई बार बहुत बड़ा नुकसान उठाया जा चुका है. अब आगे से किसी भी क्षेत्र में बलों के काम करने के स्थान पर और कार्य पद्धति पर सभी मिलकर विचार करेंगें जिससे बेहतर तालमेल के साथ नक्सलियों के खिलाफ़ प्रभावी कदम उठाये जा सकेंगें.
बैठक में इस बात पर भी विचार किया गया कि इन प्रभावित स्थानों पर सेना कि तैनाती की जाये या नहीं पर सेना को नहीं तैनात करने पर सहमति बन गयी और राज्यों को अपने स्तर से केंद्रीय सहायता के साथ काम करने की पूरी छूट भी मिल गयी है. अब यह राज्यों के नेतृत्व पर निर्भर करता है कि वह इन सब बातों को कितनी गंभीरता से लेता है जिससे आम जनों को इस समस्या से छुटकारा दिलाया जा सके. बैठक में मनमोहन सिंह ने स्पष्ट रूप से कहा कि इस तरह के अभियान के साथ पूरी ईमानदारी से विकास पर भी जोर दिया जाये. जो इलाके आज भी पिछड़े हुए हैं उनको भी विकास की लहर में साथ में जोड़ने का काम किया जाये. यह सही है कि भ्रष्टाचार और आदिवासियों को उनके हक से वंचित किये जाने के कारण इस समस्या ने बहुत ख़तरनाक रूप धारण कर लिया है. ऐसा कुछ भी नहीं है कि विकास होने के बाद भी यह सभी स्थानीय लोग इसी तरह से नक्सलियों का समर्थन करते रहें ? बल्कि विकास का विरोध करने पर नक्सलियों की छवि लोगों के बीच खुद ही अच्छी नहीं रहेगी. समस्या के मूल पर चोट करने के बाद ही इस तरह के किसी भी अभियान में सफलता मिल सकती है.
राज्यों में और अधिक प्रशासनिक पैठ बनाने के उद्देश्य से विकास को पटरी पर लाने की कवायद की जा रही है अगले महीने होने जा रही राष्ट्रीय विकास परिषद् कि बैठक में भी इन स्थानों पर विकास के बारे में चर्चा होने की पूरी सम्भावना है. नक्सल प्रभावित राज्यों में विकास के लए और अधिक धन इस बार मुहैया कराया जा सकता है. साथ ही पूरे प्रभावित क्षेत्र में पुलिस को प्रभावी बनाने के लिए ४०० थानों को खोलने का प्रस्ताव भी किया गया है. आवश्यकता पड़ने पर हेलीकाप्टर द्वारा राहत और बचाव कार्य तेज़ी से चलाने की बात पर भी सहमति बन गयी है. आशा है कि अब अपने क्षुद्र राजनीति को पीछे छोड़कर नेता कुछ ठोस कर इन क्षेत्रों में विकास की बयार लाने में सफल हो सकेंगें और बहकाए जा रहे युवकों को राष्ट्र की मुख्य धारा से जोड़ने का काम अब तो करना ही चाहेंगें.
मेरी हर धड़कन भारत के लिए है...
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कल की बैठक का रिजल्ट जल्द सामने आएगा..। ऐसी हम उम्मीद करते हैं..।
जवाब देंहटाएंलेकिन जो अभी भी नक्सिलियों के हमदर्द बने हुए हैं...उन्हें परखने का भी वक्त आ गया है..।
अभी भी नीतीश कुमार की माने तो नक्सली हमारे समाज का अहम हिस्सा हैं... दुर्दांत अपराधी समाज का हिस्सा कैसे हो सकते हैं... नीतीश जी को अपनी समझ और बढ़ानी चाहिए..।