मेरी हर धड़कन भारत के लिए है...

मंगलवार, 17 अगस्त 2010

ब्लैकबेरी राज़ी...

आख़िर कार सरकार का अल्टीमेटम ब्लैकबेरी सेवा प्रदाता कम्पनी रिम को यह समझाने में सफल रहा कि अगर उसे भारत में रहना है तो यहाँ की सुरक्षा चिंताओं के साथ अपनी सेवाओं तक सुरक्षा एजेंसियों की पहुँच की राह आसान करनी ही होगी. यह भी सही है कि आतंकी और देश विरोधी गतिविधियों में कोई इस सेवा का प्रयोग नहीं करता क्योंकि यह पता आदि देखने के बाद ही चालू की जाने वाली सेवा है और इसे कोई भी सड़क चलते नहीं खरीद सकता है, फिर भी कहीं न कहीं इस बात का खतरा तो था ही कि जब आतंकियों को पता है कि इस इकलौती सेवा में सब निजी है तो वे किसी भी फ़ोन का उपयोग इस तरह की गतिविधियों के लिए कर सकते हैं ?
                  वैसे भी किसी के पास इस बात के अधिकार तो हैं नहीं कि वे हमेशा ही किसी की बातें सुनने का काम ही करते रहें. हमारी पुलिस पहले से ही काम के बोझ से दबी पड़ी है और उसके पास कुछ चुनिन्दा मामलों को छोड़कर कुछ भी सुनने के लिए समय है ही कहाँ ? इस प्रकरण में एक बात तो साबित हो ही गयी कि अगर सरकार हर मामले में इसी तरह से कड़ाई से पेश आये तो कोई भी काम असंभव नहीं है. कहाँ तो रिम साफ़ साफ़ मुकर रही थी कि वह किसी भी कीमत पर सरकार को यह सुविधा नहीं दे सकती है पर अब वह चरण बद्ध तरीके से पूरी तरह से स्वचालित प्रक्रिया के तहत साल के अंत तक पूरी सेवा को नियंत्रण करने का अधिकार सरकार को दे रही है. कुछ सरकार का दबाव और कुछ बाज़ार की ताक़त क्योंकि भारत जैसे उभरते हुए बाज़ार से कोई भी कम्पनी मुंह नहीं चुरा सकती है और इसी कारण से उसने भी झुकना स्वीकार कर लिया है. एक आंकड़े के अनुसार भारत में इस सेवा का उपयोग करने वालों की संख्या लगभग ११ लाख है और कोई भी कम्पनी इतने बड़े ग्राहकों को एकदम से खोना नहीं चाहेगी ? भारत में हो सकता है कि बहुत जल्दी ही इस सेवा का उपयोग करने वालों की संख्या करोड़ों में भी हो जाए ?
              फिर भी जिस तरह से रिम के साथ सख्ती की गयी है उसी तरह से देशी कम्पनियों के खिलाफ़ भी पूरी तरह से सख्ती की जाये क्योंकि आज भी ग्राहक बढ़ाने के चक्कर में ये सभी कम्पनियां पहले से ही चालू सिम कार्ड आज भी बेच रही हैं जिससे सुरक्षा सम्बन्धी चिंताएं कभी भी कम नहीं हो सकती हैं. देश के हर हिस्से में आज भी सिम खरीदते ही कोई भी व्यक्ति बात करना शुरू कर सकता है जो कि अपने आप में बहुत ख़तरनाक है ? इस तरह के किसी भी मामले में पुलिस बाद में कोई सुराग ढूंढ पाने में कोई सफलता हासिल नहीं कर पायेगी ? अब जब दुनिया की उस कम्पनी ने भारत को यह अनुमति दी है जिसने आज तक किसी को भी अपने नेटवर्क तक नहीं पहुँचने दिया हो तो अब यह हमारी ज़िम्मेदारी बनती है कि उसके साथ हम लगे हाथ सुरक्षा सम्बन्धी सभी शंकाओं को निपटा ही लें. 


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