मेरी हर धड़कन भारत के लिए है...

मंगलवार, 7 सितंबर 2010

मनमोहन के तेवर

        जैसा कि देश में सभी कहते रहते हैं कि प्रधानमंत्री के रूप में मनमोहन सिंह बहुत कमज़ोर हैं कल उनके तेवर देखने के बाद लोगों की राय उनके बारे में अवश्य ही बदल गयी होगी ? प्रधानमंत्री ने जिस तरह से अपने संवाददाता सम्मेलन में जिस तेज़ी और तत्परता के साथ सवालों की बौछार को झेला उसके बाद उन पर से इस बात का ठप्पा तो हट ही जाना चाहिए कि वे अब भी कमज़ोर हैं. सबसे बड़ी बात यह रही कि उन्होंने हर मुद्दे पर हर सवाल का जवाब भी दिया साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि वे लोकतंत्र में भरोसा करते हैं.
        लोगों को यह लगता था कि केवल दुष्प्रचार करके वे मनमोहन को कमज़ोर साबित कर देंगें पर उन्होंने अपनी इस बात को भी मज़बूती से रखा कि वे अभी रिटायर नहीं होने जा रहे हैं. यह सभी जानते हैं कि जब तक सोनिया गाँधी नहीं चाहेंगीं तब तक कोई भी इनको चुनौती नहीं दे पायेगा. वैसे भी मनमोहन चुपचाप काम करने वालों में से हैं जब तक उन्हें समर्थन रहेगा वे किसी भी हालत में अपने पद पर बने रहेंगें और वे यह भी जानते हैं कि बिना कांग्रेस के वे कुछ भी नहीं कर सकते हैं इसलिए कभी यदि ऐसा समय आया कि सोनिया उन्हें हटाना चाहेंगीं तो वे शांति के साथ अपने पद को छोड़ देंगें. वैसे इस बात की सम्भावना कम ही है क्योंकि अगले चुनाव तक अगर कोई बड़ी घटना नहीं घटी तो सोनिया भी कुछ समय चल चुकी सरकार की बुराई को राहुल के सर नहीं डालना चाहेंगीं. हाँ यदि सब कुछ ठीक ठाक रहा और अगली सरकार भी कांग्रेस की बनती नज़र आई तब अवश्य ही सोनिया राहुल को सरकार की कमान सौंपना चाहेंगीं.
             अयोध्या, नक्सली और आतंक पर भी मनमोहन ने खुलकर अपने विचार व्यक्त किये जिससे लगता है कि वे देश के भविष्य के लिए चिंतित हैं. फिलहाल अयोध्या मामले के फैसले को लेकर जिस तरह से उत्तर प्रदेश सरकार और केंद्र सरकार ने पिछली गलतियों से सबक लेते हुए पहले से ही पुलिस और जनता के बीच के संवाद को बढ़ाने का काम शुरू कर दिया है वह निश्चित तौर पर देश हित में है. वैसे उत्तर प्रदेश के पुलिस महानिदेशक कर्मवीर सिंह जैसे अधिकारी इस बात के पीछे अधिक हैं जिनकी सोच देश के लिए हमेशा ही बहुत अच्छी रही है. फिलहाल मनमोहन ने जिस तरह से अपने विरोधियों को जिस अंदाज़ में जवाब दिया है वह अपने आप में बहुत ज़रूरी था क्योंकि जब देश में राष्ट्रमंडल खेलों का आयोजन होने वाला है तो किसी भी तरह से कमज़ोर प्रधानमंत्री की छवि देश की छवि को धक्का पहुँचाने का ही काम करती.      

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1 टिप्पणी:

  1. जो प्रधानमंत्री सड़ रहे अनाज को देश के गरीबों में बांटने में असमर्थ है उसे प्रधानमंत्री बने रहने का कोई हक़ नहीं। वह तो इंसान ही नहीं एक लिजलिजा जन्तुमात्र है।
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