मेरी हर धड़कन भारत के लिए है...

सोमवार, 8 नवंबर 2010

ओबामा और पाक

अपनी वर्तमान भारत यात्रा के दौरान ओबामा जिस तरह से आतंकवाद पर अमेरिका के पुराने रवैये को ही दोहराने में लगे हुए हैं उससे तो यही लगता है कि वे यहाँ केवल व्यावसायिक हितों की बातें करने के लिए ही आये हुए हैं और किसी भी परिस्थिति में वे पाक को कोई सबक नहीं देने जा रहे हैं. आज जब सारी दुनिया जानती है कि वैश्विक आतंकवाद को पूरी खुराक़ पाकिस्तान से ही मिल रही है तो भी अमेरिका का इस तरह से चुप रहना उसके भारत के साथ दीर्घकालिक रिश्तों पर बहुत बुरा प्रभाव डालने जा रहा है ? अब यह अमेरिका को तय करना है कि उसे किस तरह का साथ पसंद है ? एक तरफ तेज़ी से विकास करता भारत है तो दूसरी तरफ आतंक से पिसता पाकिस्तान ?
           ऐसा भी नहीं है कि अमेरिका के नीति नियंता इस बात को नहीं समझते हैं पर कहीं न कहीं से ऐसा भी है कि अब अमेरिका को भारत की इतनी तेज़ गति भी रास नहीं आ रही है ? अभी तक भारत ने जो कुछ भी कहा और किया है उस बारे में किसी भी पश्चिमी देश सहित अमेरिका ने भी नहीं सोचा था कि संपेरों का देश इतनी जल्दी इतना आगे आ जायेगा ? जहाँ तक पाक से निपटने का मसला है तो अमेरिका को भारत पर दबाव बनाने के लिए एक ऐसा देश भी चाहिए जो भारत के लिए रोज़ ही समस्याएँ खड़ी करता रहे ? और अमेरिका के इस मंसूबे को पूरा करने में पाक हमेशा से ही खरा उतरता रहा है. आज भी एक तरफ अमेरिका "वार ऑन टेरर" की बात करता है तो वहीं दूसरी तरफ़ वह टेरर के जरिये वार भी करवाने में संकोच नहीं करता है ?
           अब ऐसा बहुत दिनों तक नहीं चलने वाला है आज अमेरिका के व्यापारिक हित भारतीयों के हाथों में आ गए हैं और इस सबके चलते ही ओबामा भारत आने को मजबूर हुए हैं. भारत के लिए और दुनिया के लिए अगर अमेरिका वास्तव में संजीदा है तो उसे सबसे पहले पाक को साफ़ शब्दों में यह बता देना चाहिए कि अब ऐसा कुछ भी बर्दाश्त नहीं किया जायेगा जिससे कहीं से भी यह लगता हो कि पाक आज भी आतंक का व्यापर करने में लगा हुआ है ? फिलहाल ओबामा के इस दौरे से भारत को आतंक के मुद्दे पर कोई बहुत बड़ी आशा नहीं करनी चाहिए क्योंकि ताज होटल में रुकना और मोमबत्ती जलना एक अलग बात है और खुले दिमाग से सबके हित की बात सोचना बिलकुल अलग.......    

मेरी हर धड़कन भारत के लिए है...

1 टिप्पणी: