मेरी हर धड़कन भारत के लिए है...

शनिवार, 20 नवंबर 2010

केंद्रीय बोर्ड और शिक्षा

केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री कपिल सिब्बल ने एक बार फिर से देश में सही समय पर बच्चों को व्यावसायिक शिक्षा देने की ज़रुरत पर बल देते हुए कहा है कि जल्दी ही सीबीएसई ८ वीं कक्षा के बाद से से ही बच्चों को उचित व्यावसायिक शिक्षा देने की तरफ बढ़ने की तैयारियां कर रहा है. यह पूरी तरह से सही है कि देश में सीमित संसाधनों के साथ काम करना आज भी एक बड़ी चुनौती है और जब इसके साथ भ्रष्टाचार भी जुड़ जाता है तो कुछ भी कर पाना संभव नहीं रह जाता है. आने वाले समय में आबादी को देखते हुए लगभग २० करोड़ बच्चे सम्पूर्ण शिक्षा से वंचित रह जाने वाले हैं और इस समस्या से निपटने के लिए आज से ही प्रयास किये जाने आवश्यक हैं.
     अपने इस कार्यकाल के दौरान सिब्बल ने जिस तेज़ी से शिक्षा के सरलीकरण पर ध्यान देना शुरू किया है यह लगभग वैसा ही है जब १९८४ में राजीव गाँधी ने देश को २१ वीं सदी में पूरी तैयारी के साथ लेकर जाने का सपना दिखाया था और तब के नेताओं ने उनकी यह कहकर हंसी उड़ाई थी कि वे देश को भी हवाई जहाज़ की तरह उड़ना चाहते हैं ? आज जब देश ने तकनीकी क्षेत्र में अपनी महारत साबित कर दी है तो उनके सपनों की कोई आलोचना नहीं करता ? यह सही है कि मैकाले की नीतियां भारत के नहीं बल्कि अंग्रेज़ों के हितों के लिए ही थीं पर अभी तक उनमें मूल परिवर्तन करने की कोशिशें कही से भी नहीं की गयी थीं पर अब सिब्बल उनमें कुछ बुनियादी बदलाव करके शिक्षा को देश के भविष्य के अनुसार ढालने और तैयार करने के प्रयास कर रहे हैं पर हर व्यक्ति सम्पुर्ण नहीं होता इसलिए उन्हें भी सभी को साथ लेकर चलना चाहिए.
           देश में जिस तरह से संसाधनों की कमी है उसे देखते हुए हमें ऐसी शिक्षा की आवश्यकता है जो बच्चों को उनकी ज़रूरतों के अनुसार समय से पूरी व्यावसायिक शिक्षा देकर भविष्य के लिए तैयार कर सके. देश में जिस बात की कमी है वह यह कि ऐसे बहुत सारे नीतिगत मामलों में पूरे देश से विचार किया जाना चाहिए जो नहीं हो पाता है ? वैसे सिब्बल की इस बात में तारीफ करनी होगी कि वे एक ऐसे क्षेत्र में भी सुधार करने की कोशिशें कर रहे हैं जिसमें आज तक बहुत कम ध्यान दिया गया है. जब भारत सरकार यह मानकर चल रही है देश की आत्मा दूर दराज़ के क्षेत्रों में निवास करती है तो सम्पूर्ण विकास तभी संभव होगा जब इन क्षेत्रों का विकास होगा ? फिलहाल संप्रग सरकार तो गांवों कि तरफ़ देख ही रही है पर साथ ही भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाना भी बहुत आवश्यक है....

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2 टिप्‍पणियां:

  1. शिक्षा का इतना भी सरलीकरण नही होना चाहिए कि प्रतिशत कितना भी हो ,सभी को एक ही ग्रेड में डाल देना, जोकि हाईस्कूल के पेपर में इस बार देखने को मिला,क्या यह उचित है?

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