मेरी हर धड़कन भारत के लिए है...

रविवार, 12 दिसंबर 2010

अमेरिका की बदतमीज़ी

          लगता है कि अमेरिका में कुछ लोगों के मन में अभी भी जाति और नस्ल का बहुत बड़ा प्रभाव है तभी वे अपने को बहुत सभ्य बताने के बावजूद भी ऐसी हरकतें करने से नहीं चूकते हैं. ताज़ा घटना में जिस तरह से भारत की राजदूत के साथ वहां के हवाई अड्डे पर व्यवहार किया गया वह उसकी इस मानसिकता की तरफ ही इंगित करता है. इसके लिए भारत सरकार ने अमेरिका को साफ़ शब्दों में स्पष्ट कर दिया है कि अगर उसे अपने यहाँ अन्य देशों के राजनयिकों का उचित सम्मान नहीं करना है तो वह पूरी दुनिया में अपने राजनयिकों के साथ आगे अन्य तरह की समस्याओं के लिए तैयार रहे ?
   इसी क्रम में भारतीय विदेश मंत्रालय ने भारत में अमेरिका के मिशन के उप प्रमुख डोनाल्ड लू को साउथ ब्लाक स्थित विदेश मंत्रालय में तलब करके यह बता दिया है कि यह अमेरिका की ज़िम्मेदारी है कि वह अपने यहाँ सार्वजानिक स्थानों पर रहने वाले सुरक्षा कर्मियों को विभिन्न देशों की संस्कृतक सभ्यता और पहनावे के बारे में पूरी तरह से तैयार करे जिससे भविष्य में इस तरह की कोई घटना नहीं होने पाए. लू को यह भी कह दिया गया है कि इसके बाद अगर कभी कोई घटना इस तरह से होती है तो उसके तुरंत बाद भारत में अमेरिका के राजनयिकों को दिए गए अधिकारों की समीक्षा कर उनमें कटौती कर दी जाएगी.
   इस मामले में भारत सरकार के कूटनीतिक प्रयास को बिलकुल सही कहा जा सकता है क्योंकि अब इसके बाद इस तरह की कोई भी घटना होने के बाद भारत अमेरिका के राजनयिकों की सुविधाओं और अधिकारों के बारे में समीक्षा करने की स्थिति में होगा. वैसे लगता तो यह है कि पूरे अमेरिका की बजाय कुछ मानसिक रूप से बीमार लोग कानूनों का हवाला देकर इस तरह की हरकतें करने से बाज़ नहीं आते हैं ? अच्छा हो कि इस तरह की सेवा में लगे हुए लोगों की मानसिक रूप से भी जांच की जाये और उनके पिछले अतीत के बारे में भी जानकारी जुटाई जाये और अगर उनके पिछले व्यवहार में कोई असामान्य बात रही हो तो उन्हें इस तरह के विभिन्न देशों की संस्कृतियों से पाला पड़ने वाले स्थानों पर तैनात ही न किया जाये. वैसा यह अमेरिका का अपना मामला है पर यह कहीं न कहीं पूरे विश्व से जुड़ा है अब यह अमेरिका को ही तय करना है कि वह ऐसे लोगों को सामने रखकर अपने लिए असहज स्थितयां बार बार उत्पन्न करना चाहता है या इस तरह की घटनाओं को रोकने के लिए कुछ ठोस कदम भी उठाना चाहता है ?      

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2 टिप्‍पणियां:

  1. ठीक है... लेकिन उन्हें अपनी सुरक्षा सर्वोपरि है... न कि हमारे जैसे जो कोई भी थोड़ा रसूख वाला हो उसके लिये नियम तोड़ दें.... इस मामले में मैं आपके खयालातों से इत्तफाक नहीं रखता..

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  2. हम ही कौन कम गदहे हैं... काहे नहीं ब्राजील की तरह जवाब देते. इन फिरंगों को पालम पे जुतियाने से किसी ने मना किया है क्या ?

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