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बुधवार, 29 दिसंबर 2010

पाक दुश्मन, चीन पर भरोसा नहीं

कांग्रेस ने पार्टी के १२५ वर्ष पूरे होने पर प्रकाशित एक किताब में यह साफ़ तौर पर कहा है कि पाक दुश्मन है और चीन पर भरोसा नहीं है.  किताब में अफगानिस्तान में अमेरिका द्वारा लड़ी जा रही लड़ाई से पाकिस्तान को फ़ायदा पहुँचने का ज़िक्र भी किया गया है. ज़ाहिर है कि विकिलीक्स द्वारा राहुल की बैटन को सार्वजनिक किये जाने के बाद पार्टी ने जान कर ही इस तरह की बातों को जोड़ा है जिससे जनता में गए ग़लत सन्देश को सुधारा जा सके. अमेरिका के द्वारा आतंक के मुद्दे पर पाक को समर्थन किये जाने को भी इस किताब में जम कर कोसा गया है अभी तक जिस तरह से पाक को आतंकियों का समर्थक बताया जाता है यह तो उस रस्ते पर ही अगला कदम है. सारी दुनिया जानती है कि आज पाक आतंक का सबसे बड़ा पोषक है और पूरी दुनिया को उससे ही सबसे बड़ा खतरा होने वाला है ?
        अभी तक कांग्रेस ने जान बूझकर कुछ मुद्दों पर अपनी बात नहीं उठाई थी पर पाक और अन्य देशों के मुद्दे पर घेरे जाने के बाद उसने बहुत सोच समझ कर विपक्षी दलों को चुप करने के लिए १९८९ जून में चीन के थियेंमान चौक पर हुए नर संहार पर तत्कालीन सरकार द्वारा कुछ भी न कहे जाने को एक मुद्दे के रूप में सामने लाने की कोशिश की है. ज़ाहिर है उस समय विश्व नाथ प्रताप सिंह की सरकार थी और जिसे वाम पंथियों समेत  भाजपा का सहयोग भी मिला हुआ था. यह मामला किताब में उठाने के पीछे कांग्रेस की मंशा जनता को यह बताने की भी है कि उस समय इन्हीं विपक्षी दलों की मिली जुली सरकार ने चीन के मामले पर चुप्पी साध ली थी. किताब में राजीव गाँधी की चीन यात्रा का भी उल्लेख है जिसमें कहा गया है कि उसके बाद से ही भारत और चीन में कुछ बात आरम्भ हो पाई थी.
           देश में एक घातक परंपरा चल रही है कि विदेश नीति पर भी घटिया राजनीति हमेशा से ही की जाती रही है जबकि होना यह चाहिए कि देश के अन्दर चाहे जितने मतभेद हों पर विदेश नीति के मुद्दे पर कोई भी मतभेद नहीं होने चाहिए. आख़िर क्या कारण है कि संसद में बैठकर ये दल देश के लिए एक ठोस विदेश नीति क्यों नहीं बनालेते हैं ? देश में कुछ भी हो पर विदेशों में भारत की छवि को अआखिर कब तक ये माननीय धक्के लगाते रहेंगें  ? देश चलाने की प्रक्रिया अलग हो सकती है पर विदेश नीति के बारे में रोज़ बदलने वाला कुछ भी देश को किसी भी स्तर पर लाभ नहीं दे सकता है ? अच्छ हो कि अब सभी मिलकर इन मुद्दों पर सोचें जिससे दुनिया भर में हमारा उपहास न हो ?   

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