मेरी हर धड़कन भारत के लिए है...

गुरुवार, 30 दिसंबर 2010

३१ तक तेलंगाना का फैसला

तेलंगाना के लोगों के लिए नए साल की पूर्व संध्या पर श्री कृष्ण समिति की तरफ से कुछ अच्छी खबर मिल सकती है ३१ दिसंबर को इस समिति की रिपोर्ट सरकार को सौंपे जाने की पूरी सम्भावना है. वैसे तो यह मामला पूरी तरह से राजनैतिक ही है पर जिस तरह से आज के समय में राजनैतिक माहौल में कोई भी राजनैतिक दल देश की समस्याओं के बारे में सोचना भी नहीं चाहता है उससे तो यही लगता है कि इनको मुख्या समस्याओं से कुछ भी लेना देना नहीं होता है ? यह सही है कि तेलंगाना में विकास की गति कम ही रही है जिसके कारण वहां के लोगों को यह लगने लगा कि हमारे साथ अन्याय हो रहा है ? 
                          इस तरह से कुछ क्षेत्रों में राज्यों की हिंसक होती मांगों पर सरकारें कब तक विचार करती रहेंगीं ? आज समय है कि पूरे देश की वर्तमान परिस्थितियों पर विचार करते हुए एक राज्य पुनर्गठन आयोग को बनाया जाए जो पूरे देश के सभी राज्यों कि भौगोलिक, राजनैतिक, आर्थिक, सामजिक स्थितयों पर विचार करने के बाद अपनी राय देश के सामने रखे. आज भी देश में बहुत सारे राज्यों में प्रशासनिक व्यवस्था केवल विपरीत परिस्थितयों के कारण ही नहीं सुधर पा रही है और अभी भी इसमें बहुत सुधार किये जाने की आवश्यकता है. केवल किसी बड़े मुद्दे पर राज्य का बंटवारा कर देना कहीं से भी उचित नहीं कहा जा सकता है फिर भी कहीं न कहीं से प्रशासनिक कुशलता को बढ़ाने वाली एक व्यवस्था को लागू किये जाने की आज बहुत आवश्यकता है.
              राज्य छोटे या बड़े होने का विकास से कुछ भी लेना देना नहीं होता है असली मुद्दा तो राज्य के नेताओं द्वारा सरकार को चलाये जाने को लेकर ही होता है. कुछ जगहों पर सरकार नाम की चीज़ केवल दिखावे भर की होती है पर कहीं पर यह आम लोगों की जिंदगी तक पहुंची हुई लगती है. आज देश को आवश्यकता है  अच्छे और सुलझे राजनैतिक नेतृत्व की जो केवल कुछ जिलों या राज्य तक की बातें ही न सोचता हो जिसके पास एक दृष्टि हो जिसके द्वारा वह पूरे देश को आगे ले जाने का काम कर सके. तेलंगाना का मुद्दा अब वहां के लोगों के लिए स्वाभिमान का मुद्दा बन चुका है और आंध्र प्रदेश के लिए राजशेखर रेड्डी की असामयिक मृत्यु ने भी बहुत रोड़े लगा दिए हैं वे एक ऐसे राजनेता थे जिन्होंने बहुत दिनों के बाद जनता की नब्ज़ को पहचान लिया था और वे काफी संजीदगी से आन्ध्र के लोगों के सम्पूर्ण विकास के लिए काम भी कर रहे थे. अब उनके बाद के आन्ध्र में राजनैतिक उठापटक अधिक है और लोगों की समस्याओं पर ध्यान कम.....    

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1 टिप्पणी:

  1. `असली मुद्दा तो राज्य के नेताओं द्वारा सरकार को चलाये जाने को लेकर ही होता है'

    सब अपनी रोटी पर दाल खींचने की फिक्र में रहते हैं:)

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