मेरी हर धड़कन भारत के लिए है...

बुधवार, 26 जनवरी 2011

राष्ट्रीय मतदाता दिवस....

                     देश में राजनीति के प्रति लोगों की उदासीनता को देखते हुए २५ जनवरी को देश में मतदाताओं को जागरूक करने के लिए राष्ट्रीय मतदाता दिवस मनाये जाने का संकल्प लिया गया है पर क्या मात्र इस कदम से देश में मतदाताओं में कोई जागरूकता आने वाली है ? शायद नहीं क्योंकि हम भारत के लोग कभी भी किसी बात को संजीदगी से तब तक नहीं लेते हैं जब तक पानी सर से ऊपर नहीं हो जाता है ? देश में गाँवों आदि में तो फिर भी लोग वोट देने के लिए चले जाते हैं पर हमारे तथाकथित पढ़े लिखे सभी समाज की चुनावों में क्या भूमिका होती है उसको हम सभी जानते हैं ? आज के समय में हर व्यक्ति सरकारों को कोसते हुए मिल जायेगा पर जब सरकार चुनने का समय आता है तो हम घरों में क़ैद होकर किसी फिल्म का लुत्फ़ उठा रहे होते हैं ? क्यों आख़िर देश को चलाने का ज़िम्मा केवल कुछ लोगों के हाथ में जाने देना हमें अच्छा लगता है ? जब भी समय आता है अच्छों को चुनने का तब हम किस दड़बे में घुस जाते हैं ?
           देश में चुनाव आयोग और कोई भी सरकार केवल चुनाव के आयोजन तक ही अपनी भूमिका अदा कर सकते हैं पर उसका सदुपयोग करना हमारा दायित्व है. आज अगर कहीं पर कोई अनियमितता है तो वह केवल इसलिए है कि हम उसके प्रति उदासीन हैं. अगर हम अपने वोट का प्रयोग करना सीख जाएँ तो समाज से ख़राब लोगों का चुन कर आना काफी हद तक कम हो सकता है ? आख़िर क्या कारण है कि बिहार में भी लोग उठ खड़े हुए ? सिर्फ़ इसलिए क्योंकि वे रसातल तक पहुँच चुके थे और उन्होंने अपने मताधिकार का प्रयोग करके अपनी स्थिति को सुधारने का काम खुद ही किया. आज देश में मताधिकार को भी आवश्यक कर दिया जाना चाहिए और जो भी वोट डालना चाहे उसको कई दिन मिलने चाहिए. तकनीकी के क्षेत्र में देश की मेधा का उपयोग करके हम चुनावों को और अधिक सुरक्षित और आसान बना सकते हैं. वोट न डालने वालों के सभी नागरिक अधिकार अगले ५ साल तक वापस ले लिए जाने चाहिए जिससे लोगों को यह समझ में आ सके कि वोट देना कितना आवश्यक है. बिना किसी उचित कारण के वोट न देने वालों पर जुर्माना भी लगाया जाना चाहिए केवल आधी आबादी के वोटों से चुनी गयी अधकचरी सरकारें आख़िर कैसे पूरे देश के बारे में सोच सकती हैं ?
               इस देश में बिना दंड दिए कुछ भी नहीं ओ सकता है इसलिए वोट न देने वालों पर भी कुछ सख्ती की जानी चाहिए और साथ ही वोट देने का काम केवल एक दिन की जगह कई दिनों में करना चाहिए और अगर हो सके तो प्रयोग के तौर पर कुछ जगहों पर वैकल्पिक ऑनलाइन वोट देने की व्यवस्था भी की जानी चाहिए जब यह प्रयोग कुछ हद तक सफल लगे तो जो लोग लाइन में लगकर वोट देने नहीं जाते हैं उनको इस तरह से वोट देने का अवसर देने का प्रयास भी किया जाना चाहिए. देश में बहुत सारे मतदाता केंद्र बनाए के स्थान पर जहाँ पर संभव हो सचल मतदाता केंद्र बनाये जाए और राष्ट्रीय पहचान संख्या आने के बाद किसी भी वोटर को ऑनलाइन वोट देने के लिए वहां पर बुलाया जाए. उससे एक तो फर्जी वोट नहीं पड़ सकेंगें और कोई भी वोट देने से किसे को रोक भी नहीं पायेगा. जो मशीन चुनाव करने के लिए लायी जाती है उसको ही नेट से जोड़कर मतदाता को मत देने का अधिकार दिया जाए. शुरू में यह काम अधिक कठिन लगेगा पर जब देश के सभी नागरिकों का डाटा बन जायेगा तो कोई भी किसी भी तरह से फर्जी वोट नहीं डाल पायेगा. आज देश के ७० % भाग में नेट की पहुँच हो चुकी है तो इतने बड़े हिस्से में यह प्रयोग करने में कोई कठिनाई नहीं होने वाली है. इससे सबसे बड़ी बात जो यह होगी कि देश का कोई भी मतदाता अपने चुनाव क्षेत्र का कोड बताकर कहीं पर अपने मताधिकार का प्रयोग कर सकेगा और अनावश्यक रूप से जो पैसा सुरक्षा आदि में खर्च होता है वह भी बच जायेगा. फिलहाल तो यही कहा जा सकता है कि जागो मतदाता जागो ...   


     
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1 टिप्पणी:

  1. एक दिन में हो, सेना को लगा दिया जाये, आनलाइन हो जाये, तुरन्त रिजल्ट डिक्लेयर हो, मतदाता को अपना वोट उम्मीदवार के खाते में जुड़ता दिखाई देता हो..

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