मेरी हर धड़कन भारत के लिए है...

शुक्रवार, 28 जनवरी 2011

एहसास

एहसास हुआ जैसे वो अपना सा कोई है,
दूर जाते हुए जब उसने पलट कर देखा !!

कोई सबमें भी है फिर भी है तनहा इतना,
चाँद के राज़ को जब पास से जाकर देखा !!

झील सी गहरी हैं  फिर भी हैं कितनी भोली, 
उनकी आँखों में जब आँखें मिलाकर देखा !!

चुप रहती हैं और चुपके से बोलती कितना,
आँखों से करते हुए उनको जो इशारे देखा !!
मेरी हर धड़कन भारत के लिए है...

4 टिप्‍पणियां:

  1. आदरणीय डा०आशुतोष जी
    नमस्कार !
    कोमल भावों से सजी ..
    ..........दिल को छू लेने वाली प्रस्तुती

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  2. बहुत प्रेरणा देती हुई सुन्दर रचना ...
    गणतंत्र दिवस की हार्दिक बधाइयाँ !!

    Happy Republic Day.........Jai HIND

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