देश के इतिहास में पहली बार ऐसा होने जा रहा है कि जब तिहाड़ जेल में सजा काट चुके कैदियों को बाहर निकलने से पहले ही नौकरियां मिलने वाली हैं. देश की प्रमुख प्रतिष्ठित कई कंपनियों ने जेल परिसर में प्लेसमेंट के लिए आने के लिए हामी भर दी है और लगभग ५० लोगों का चयन भी कर लिया गया है. यह एक ऐसी शुरुवात हो सकती है जो किसी कारण से अपराध की तरफ मुड़ चुके लोगों को अपनी जिंदगी को नए सिरे से शुरू करने की तरफ ले जाने वाल साबित हो सकता है. अभी तक ऐसी कोई व्यवस्था नहीं थी जिसके अंतर्गत सजा पूरी होने के बाद यहाँ पर रहते हुए कुछ प्राप्त करने वाले और अपने जीवन को सुधारने की कोशिश करने वाले लोगों को सम्मानपूर्वक जीने का अधिकार भी देती पर इस तरह के अभियान से इन लोगों के लिए आगे का जीवन अच्छा हो सकता है.
तिहाड़ में बहुत लम्बे समय से कैदियों को बहुत तरह के प्रशिक्षण दिए जाते रहे हैं पर अभी तक ऐसा नहीं हो पाया कि इस प्रशिक्षण के दम पर इन लोगों को कोई अच्छी नौकरी मिल पाती ? सवाल यहाँ पर यह भी था कि कोई भी इस तरह से सजा काट चुके लोगों को अपने यहाँ नौकरी देना ही नहीं चाहता था ? समाज में यह धारणा आम है कि जिसने एक बार अपराध किया है वह आसानी से उससे दूर नहीं हो सकता है और वह फिर कभी न कभी अपनी पुरानी हरकत कर सकता है. परन्तु इस वर्ष देश के प्रतिष्ठित समूहों ने जिस तरह से ५ फरवरी को जेल परिसर से ही लोगों को चुनने का जो छोटा परन्तु महत्वपूर्ण कदम उठाया है उसकी बहुत दिनों से आवश्यकता थी. इससे इन लोगों को पाने को समाज के सामने साबित करने का अवसर भी मिल जायेगा.
इन सजा पूरी कर चुके लोगों के जीवन में सही उजाला तो तभी आ पायेगा जब समाज भी इनको अच्छी नज़रों से देखना शुरू करे ? जिस तरह से एक छोटी सी शुरुआत यहाँ से होने जा रही है निश्चित तौर पर आने वाले समय में यह लोगों के जीवन को सुधारने की दिशा में अच्छा कदम साबित होने वाली है ? इस वर्ष भले ही कुछ कम्पनियाँ यहाँ आई हों पर आने वाले समय में यह अभियान जोर पकड़ सकता है जिससे इन लोगों को भी समाज में सम्मानपूर्वक जीने का अवसर मिल जायेगा. अब यह इन लोगों पर ही निर्भर करता है कि सरकार और अन्य लोगों के इस प्रयास को सफल करने में यह पहले बैच वाले लोग कितना प्रयास करते हैं क्योंकि आने वाले समय में इस तरह से कुछ भी तभी चलता रह पायेगा जब पहली बार जाने वाले लोग समाज और अपने क्षेत्र में अपनी प्रतिभा और व्यवहार से सभी का दिल जीत लें ? अच्छा है कि कुछ ऐसा शुरू तो हो रहा है जिससे आगे आने वाले समय में इनके भविष्य को सुधारने में मदद मिलने वाली है.
मेरी हर धड़कन भारत के लिए है...
तिहाड़ में बहुत लम्बे समय से कैदियों को बहुत तरह के प्रशिक्षण दिए जाते रहे हैं पर अभी तक ऐसा नहीं हो पाया कि इस प्रशिक्षण के दम पर इन लोगों को कोई अच्छी नौकरी मिल पाती ? सवाल यहाँ पर यह भी था कि कोई भी इस तरह से सजा काट चुके लोगों को अपने यहाँ नौकरी देना ही नहीं चाहता था ? समाज में यह धारणा आम है कि जिसने एक बार अपराध किया है वह आसानी से उससे दूर नहीं हो सकता है और वह फिर कभी न कभी अपनी पुरानी हरकत कर सकता है. परन्तु इस वर्ष देश के प्रतिष्ठित समूहों ने जिस तरह से ५ फरवरी को जेल परिसर से ही लोगों को चुनने का जो छोटा परन्तु महत्वपूर्ण कदम उठाया है उसकी बहुत दिनों से आवश्यकता थी. इससे इन लोगों को पाने को समाज के सामने साबित करने का अवसर भी मिल जायेगा.
इन सजा पूरी कर चुके लोगों के जीवन में सही उजाला तो तभी आ पायेगा जब समाज भी इनको अच्छी नज़रों से देखना शुरू करे ? जिस तरह से एक छोटी सी शुरुआत यहाँ से होने जा रही है निश्चित तौर पर आने वाले समय में यह लोगों के जीवन को सुधारने की दिशा में अच्छा कदम साबित होने वाली है ? इस वर्ष भले ही कुछ कम्पनियाँ यहाँ आई हों पर आने वाले समय में यह अभियान जोर पकड़ सकता है जिससे इन लोगों को भी समाज में सम्मानपूर्वक जीने का अवसर मिल जायेगा. अब यह इन लोगों पर ही निर्भर करता है कि सरकार और अन्य लोगों के इस प्रयास को सफल करने में यह पहले बैच वाले लोग कितना प्रयास करते हैं क्योंकि आने वाले समय में इस तरह से कुछ भी तभी चलता रह पायेगा जब पहली बार जाने वाले लोग समाज और अपने क्षेत्र में अपनी प्रतिभा और व्यवहार से सभी का दिल जीत लें ? अच्छा है कि कुछ ऐसा शुरू तो हो रहा है जिससे आगे आने वाले समय में इनके भविष्य को सुधारने में मदद मिलने वाली है.
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