किसी ने शाख़ और टहनी को फिर दुरुस्त किया !
ज़मीं पे आज फिर बिखरा है आशियाँ कोई !!
किसी ने सोच समझ बोल कर रिश्ते बदले !
भरे बाज़ार में फिर दिख गया तनहा कोई !!
किसी की आरज़ू और किस की ख़ता के चलते !
बिना गुनाह कहीं बन रहा मुजरिम कोई !!
किसी के हुस्न और किस की अदाओं के सदके !
दिल से मजबूर हुआ दूर दीवाना कोई !!
किसी की प्यास पे हावी हुआ जुनूँ इतना !
भरी बरसात में भी रह गया प्यासा कोई !!
मेरी हर धड़कन भारत के लिए है...
बहुत रोचक और सुन्दर अंदाज में लिखी गई रचना .....आभार
जवाब देंहटाएंग़ज़ब की कविता ... कोई बार सोचता हूँ इतना अच्छा कैसे लिखा जाता है
जवाब देंहटाएंरंगों का त्यौहार बहुत मुबारक हो आपको और आपके परिवार को|
जवाब देंहटाएंकई दिनों व्यस्त होने के कारण ब्लॉग पर नहीं आ सका
बहुत देर से पहुँच पाया ....माफी चाहता हूँ..
वाकई मजा आ गया. ये अंदाज भी बहुत खूब है..
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