उत्तर प्रदेश में सरकार और पुलिस किस तरह से काम कर रही हैं यह बात सभी को पता है पर जब लोगों की मांगों के समर्थन में उतरे नेताओं को बिना कारन बताये ही गिरफ्तार किया जाने लगे तो स्थिति का आंकलन करना मुश्किल नहीं होता है. प्रदेश सरकार ने जिस तरह से जे पी समूह के कामों में दिलचस्पी दिखाई है उसे देखते हुए कहा जा सकता है कि हो सकता है कि अपने शासन में ही माया सरकार ने सब कुछ करा देने की बात कही हो पर आम लोगों और किसानों के हितों की अनदेखी करने वाले लोग आखिर और कितनी लाशों की प्रतीक्षा कर रहे हैं ? जिस तरह से नोयडा में हुए संघर्ष में पुलिस कर्मियों सहित कई लोग मारे गए और जिलाधिकारी और पुलिस अधीक्षक भी घायल हुए उसे देखते हुए क्या कहा जा सकता है ?
सबसे पहले प्रशासन को कानून पर चलकर व्यवस्था को सँभालने की आदत डालनी होगी क्योंकि जब भी कहीं पर किसी के निजी हितों को प्राथमिकता दी जाती है बस वहीं से कानून हाशिये पर जाने लगते हैं. आज के समय में भी जब हर तरह की सूचना आग की तरह फैलती है तो भी सरकारें पता नहीं क्यों सब कुछ छिपकर करना चाहती हैं ?
राहुल गाँधी की भट्टा पारसौल गाँव की यात्रा के बारे में उत्तर प्रदेश पुलिस और ख़ुफ़िया तंत्र को भनक भी नहीं लगी और वे काफी समय तक ग्रामीणों के साथ रहे और उनकी मांगें माने जाने तक धरना देने को भी तैयार हो गए. जब माया सर्कार का तंत्र जागा तो उन्होंने शांति भंग की आशंका में राहुल गाँधी समेत प्रदेश के कई बड़े नेताओं को ३ घंटे तक कासना थाने में बैठाये रखा. पहले तो पुलिस ने उन्हें गुरुवार को अदालत में पेश करने की बात कही पर जब यह लगा कि उन पर आरोप क्या लगाये जायेंगें तो सरकार ने अपनी नाक बचाने के लिए उन्हें सारे काले खान के पास ले जाकर छोड़ दिया.सरकार का कहना है कि राहुल और अन्य नेताओं को ज़मानत पर रिहा किया गया है जबकि राहुल ने निजी मुचलके पर हस्ताक्षर करने से मना कर दिया था. दिग्विजय सिंह ने भी ज़मानत लेने से मना कर दिया था और कहा था कि गिरफ्तारी ग़ैर कानूनी है इसलिए वे किसी भी कागज़ पर हस्ताक्षर नहीं करने वाले हैं. सरकार किस तरह से काम कर रही है यह इसी से स्पष्ट हो जाता है कि वह इस स्तर के नेताओं के साथ भी पुलिसिया हनक दिखाने से नहीं चूकती है ? किसी छोटी सी बात में अपनी गलती मानकर उसे सुधारने की आदत तो माया सरकार में कभी से नहीं रही है और अब वे जिस तरह से काम करने लगी हैं उससे तो यह स्पष्ट ही है कि अब उन्हें भी ज़मीनी हकीकत का पता चल गया है और वे घबराहट में सही फैसले भी नहीं ले पा रही हैं. अगर राहुल या अन्य किसी पार्टी के नेता विवाद के स्थल तक पहुँच भी जाते हैं तो वे कौन से विदेशी आक्रमणकारी हैं जिनसे गाँव में बगावत फ़ैल जाएगी ? माया सरकार को इस बात का एहसास है कि वह गलत है बस इसलिए बदहवासी में वह कुछ भी करने लगती है...
मेरी हर धड़कन भारत के लिए है...
बिहार में जली रोटी को यूपी के गरम तवे पर फिर सेंकना चाहते हैं राहुल बाबा।
जवाब देंहटाएंये एक दूसरी तरह का ड्रामा है जिसे बाबा बहुत अच्छे से कर रहे हैं.
जवाब देंहटाएंजय बाबा की...
जय हिन्द, जय बुन्देलखण्ड