एक बार फिर से पेट्रोल के दाम बढ़ने के बाद से इस मसले पर देश में घटिया राजनीति होने का समय आ गया है. यह बात देश के सभी राजनैतिक दल जानते है कि आने वाले समय में पेट्रोलियम पदार्थों की बढ़ती हुई मांग के बाद भी कोई ऐसा तरीका नहीं है जो देश में इसकी कीमतों को बढ़ने से रोक सके ? आज जब हमारी इन पदार्थों पर पूरी तरह से निर्भरता विदेश से आये कच्चे माल पर है तो फिर अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर बढ़ती हुई कीमतों को आख़िर कोई सरकार कैसे रोक कर रख सकती है ? देश में किसी भी बात के लिए सरकार को ज़िम्मेदार ठहराने की एक परंपरा सी बन गयी है और हर दल अपने वोटों को सुरक्षित रखने के लिए इस मामले में बयान बाज़ी करने से नहीं चूकता है.
एक बात तो अब देश की जनता को समझनी ही होगी कि इन पदार्थों के मूल्य जब देश में नहीं निर्धारित किये जा सकते हैं तो फिर इनके बढ़ने पर किसी भी तरह की हाय तौबा मचने का कोई मतलब भी नहीं बनता है क्योंकि कोई भी तेल कम्पनी अपने को घाटे में रखकर कितने दिनों तक जीवित रह सकती है ? सामान्य अर्थ शास्त्र भी यही कहता है कि यदि व्यापार करने वाले अपने को बाज़ार के हिसाब से नहीं चलायेंगें तो वे बाज़ार में टिक भी नहीं पायेंगें फिर भी केवल राजनीति के लिए देश में इन मसलों पर चिल्लाने की परंपरा बन चुकी है किसी भी दल की सरकार हो वह अपने हिसाब से ही चलती है और कहीं न कहीं से इस तरह की राजनीति का शिकार भी होती रहती है. अभी भी देश में इस बात को समझने वले कम ही हैं कि अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर बढती हुई कीमतों को आज कोई भी सरकार नहीं रोक सकती है.
के देश में कुछ लोग वह दिन देखना पसंद करेंगें जब सार्वजनिक क्षेत्र की कम्पनियाँ दीवालिया होकर अपना कारोबार समेट लेंगीं ? या फिर वे पेट्रोलियम क्षेत्र को पूरी तरह से निजी क्षेत्र के हवाले करना चाहेंगें जिससे बाद में उनके पास कहने और चिल्लाने के लिए कुछ भी न बचा रह सके ? आज समय की आवश्यकता है कि इन पदार्थों के मूल्यों को सही रूप में जनता तक पहुँचाया जाए और किसी भी कृत्रिम तरीके से इनकी कीमतों को रोक कर रखने की कोई भी कोशिश नहीं हो क्योंकि जब तक तेल कम्पनियों का अस्तित्व बचा रहेगा तभी तक देश में सस्ते और उचित तेल की बात संभव है वर्ना निजी क्षेत्र में जाने के बाद कौन इसको नियंत्रित कर पायेगा ? आज हमें इस मसले पर हल्ला मचने के बजाय इसके उपयोग को सीमित करने के बारे में सोचना ही होगा तभी देश आगे बढ़ पाएगा.
आज हमे इसके उपयोग को सीमित करने के बारे में सोचना ही होगा तभी देश आगे बढ़ पाएगा.और कोई चारा भी नहीं सही समय पर आगाह किय आपने,आभार......
जवाब देंहटाएंयू आर एबसेल्यूटली राइट सर।
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