मेरी हर धड़कन भारत के लिए है...

शुक्रवार, 7 अक्तूबर 2011

अब रोमिंग की बारी

    देश में हुए २ जी स्पेक्ट्रम घोटाले के बाद से ही दूरसंचार क्षेत्र में कुछ ठहराव सा आने लगा था क्योंकि सरकार किसी भी हालत में कुछ ऐसा नहीं करना चाहती थी जिसमें फिर से नए घोटालों को जन्म दिया जा सके ? इस बीच पूरी दुनिया ने तकनीकी क्षेत्र में काफी लम्बी छलांग लगा ली है और अब देश में भी उन सभी को अपनाने के बारे में सोचना शुरू कर दिया गया है. अभी तक सर्कल स्तर पर नंबर पोर्टिबिलिटी से जहाँ सेवा प्रदाताओं पर अच्छी सेवा देने के लिए दबाव बनना शुरू हुआ वहीं उपभोक्ता को भी अपने मनपसंद नेटवर्क में जाने की आज़ादी भी मिली. इससे जहाँ विभिन्न कंपनियों की सेवाओं में सुधार हुआ वहीं उपभोक्ताओं के सामने नए विकल्प भी खुले. इन सबके बाद भी रोमिंग की समस्या ने पूरे देश और खास कर उन क्षेत्रों के लोगों को बहुत परेशान करके रखा हुआ है जिनका आस पास के शहरों और खासकर दिल्ली में आना जाना रहता है क्योंकि दिल्ली के पडोसी राज्यों हरियाणा, उत्तर प्रदेश और राजस्थान से बहुत बड़ी संख्या में लोग रोज़ वहां आते जाते हैं जिन्हें बिना मतलब के अभी तक रोमिंग देनी पड़ती है पर अब सरकार ने नयी नीति में इस मुद्दे पर भी ध्यान देने का मन बनाया है कि अब नम्बर पोर्टिबिलिटी केवल एक सर्कल में ही नहीं वरन इंटर सर्कल भी हो सकेगी जिससे रोमिंग शुल्क पूरी तरह से ख़त्म किये जा सकेगें.
    यह सही है कि रोमिंग की समस्या के कारण ही बहुत सारे रोज़ ही आने जाने वाले लोग भी अपने साथ दो नम्बर रखना शुरू कर चुके हैं जिससे देश में स्पेक्ट्रम की कमी से जूझ रहा मोबाइल उद्योग बिना बात के ही अपने कुछ समय तक मोबाइल उपयोग करने वाले उपभोक्ताओं को ढोता फिर रहा है. यदि रोमिंग शुल्क खत्म कर दिए जाएँ तो कोई भी अपने साथ इस समस्या के कारण दो सिम लेकर चलना बंद कर देगा जिससे नेटवर्क पर जो दबाव बनता है उसे भी कम किया जा सकेगा और उपभोक्ताओं को अच्छी सेवा मिल सकेगी. आज जिस तरह से मोबाइल कम्पनियां अपने ही उपभोक्ताओं को ठगने की कोशिश में लगी रहती हैं उससे यही लगता है कि वे आज भी राजस्व जुटाने के चोर रास्तों पर चलने में लगी हुई हैं जबकि उपभोक्ताओं से मिलने वाले राजस्व के बारे में उनको हमेशा एक जैसा बर्ताव करना चाहिए. आज जिस तरह से ब्लैक आउट डे का चलन है उसकी भी कोई आवश्यकता नहीं हैं क्योंकि जो उपभोक्ता पूरे वर्ष किसी टैरिफ़ सुविधा का लाभ उठाकर कम्पनी के राजस्व में योगदान देता है उससे भी कम्पनी किसी त्यौहार पर अधिक पैसे वसूलने से नहीं चूकती है ? इसका क्या मतलब निकला जाये कि जो इनकी मदद करता है उसी का खून चूसने की पूरी तैयारी भी इन्होंने कर रखी है ?
   अच्छा हो कि रोमिंग के साथ ही सरकार नयी नीति में इस तरह के चोर रास्तों पर भी ध्यान देना शुरू करे यह बात तब समझ में आती थी जब देश में वास्तव में स्पेक्ट्रम की किल्लत थी और त्योहारों पर लाइन्स जाम हो जाया करती थीं पर अब इस तरह की किसी भी नियम की ज़रुरत नहीं है ? इस मामले में इन कम्पनियों का रुख़ तो पूरी तरह से बाज़ार से उल्टा ही है क्योंकि जहाँ किसी त्यौहार या विशेष दिन पर पूरा बाज़ार विभिन्न तरह की छूटें देता है वहीं मोबाइल कम्पनियां छूट तो दूर उलटे चल रही सेवाओं को भी बंद कर देती हैं ? आखिर क्यों अभी तक इस तरह की बातों पर किसी ने ध्यान क्यों नहीं दिया ? शायद इस रास्ते से ही ये कम्पनियां अपने राजस्व में कुछ बढ़ोत्तरी करना चाहती हैं जो कि हर तरह से उपभोक्ताओं को लूटने की जुगत ही होती है. सबसे बड़े अचम्भे की बात यह है कि सरकारी कम्पनी भारत संचार निगम भी इस लूट में शामिल है और सरकार का ध्यान अभी तक इस तरफ गया ही नहीं है ? अब समय है कि नयी नीति में इस तरह की उपभोक्ता विरोधी बातों पर खास ध्यान दिया जाये जिससे उपभोक्ताओं को अच्छी सुविधा भी मिल सके और उनसे अधिक धन की वसूली न की जा सके.     

मेरी हर धड़कन भारत के लिए है...

3 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत अच्‍छी और नवीन जानकारी। वास्‍तव में रोमिंग समाप्‍त हो तो सरकार को अधिक राजस्‍व की प्राप्ति होने लगेगी।

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  2. रोमिंग में तो पूरा निचोड़ लेते हैं ये।

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  3. ashutosh ji, satta ka aanand jitne lambe samay tak congress ne uthhaya hai utna aur kisi ne nahi isliye congress ki taraf hi ungliyan uthengi n ki auron ki taraf...

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