मेरी हर धड़कन भारत के लिए है...

शुक्रवार, 23 जनवरी 2015

बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ अभियान

                                                           केंद्र सरकार की तरफ से पूरे देश में महिला पुरुष लिंगानुपात सुधारने के लिए हरियाणा के पानीपत से जिस तरह से एक अभियान की शुरुवात की गयी है आज उसकी आवश्यकता भी थी क्योंकि अभी तक देश में कन्या भ्रूण हत्याओं के चलते जिस तरह से कई राज्यों में समस्याएं बढ़ती ही जा रही हैं उसके चलते ऐसा कुछ किया जाना आवश्यक भी था. इस क्रम में पहले से ही हरियाणा ने अपनी स्थिति में सुधार करते हुए कन्या भ्रूण हत्या पर लगाम कसने की कोशिशों में सफलता पानी शुरू कर दी है जिसकी वास्तविकता जनगणना के आंकड़ों से भी देखी जा सकती है. आधुनिक चिकित्सा सुविधाओं के दुरूपयोग से दो दशक पहले हरियाणा में जिस तरह से कन्याओं को भ्रूण में ही मारा जाना लगा था आज उसके परिणाम देखकर वहां के समाज में खुद भी बदलाव आना शुरू हो चुका है फिर भी लगातार कोशिशों और सरकारी मशीनरी के कड़े नियंत्रण के बाद भी यह काम कहीं कहीं छोटे स्तर पर चोरी छिपे चलाया भी जा रहा है. आज इससे पूरी तरह से निपटने के लिए समाज को ही आगे बढ़कर बेटियों को स्वीकार करने की हिम्मत दिखानी होगी.
                        अगर आंकड़ों में देखा जाये तो आज वास्तव में हरियाणा इसमें सबसे पीछे नज़र आता है पर यह भी सही है कि पिछले दशक में हरियाणा ने अपनी स्थिति में गुणात्मक सुधार भी किया है जिसके चलते आज वहां पर कन्याओं के अनुपात में तेज़ी से सुधार हो रहा है. इस अभियान में जो महत्वपूर्ण बात देखी जानी चाहिए थी उसको पूरी तरह से नज़र अंदाज़ किया गया है क्योंकि हरियाणा इस समस्या से जूझकर अब खुद ही सुधरने की राह पर है पर उन राज्यों पर अधिक ध्यान दिए जाने की आवश्यकता अधिक है जहाँ पर पिछले दशक में लिंगानुपात पहले के मुकाबले बिगड़ता हुआ दिखाई दे रहा है फिर भी केंद्र सरकार द्वारा हरियाणा में ही इस अभियान की शुरुवात करना अच्छा कदम नहीं माना जा सकता है. सरकार की चिंता से कुछ खास अंतर नहीं पड़ा करता है क्योंकि जब तक मसलों में सामाजिक जुड़ाव नहीं हो तब तक वे केवल सरकारी योजनाओं से अधिक कुछ भी नहीं हो पाते हैं और उनका बुरा असर समाज पर पड़ता ही रहता है.
                         अब इस मामले को यही पर छोड़े जाने के स्थान पर केंद्र सरकार को उन राज्यों में भी पीएम की इस तरह की सभाएं करवाने के बारे में सोचना चाहिए जहाँ का रिकॉर्ड पिछले दशक में ख़राब होता दिखाई दे रहा है. आज यूपी, राजस्थान, हिमाचल प्रदेश, नागालैंड, सिक्किम, जम्मू कश्मीर और महाराष्ट्र पर अधिक ध्यान दिए जाने की आवश्यकता है क्योंकि आज ये देश पिछले दशक में लिंगानुपात बनाये नहीं रख सके हैं साथ ही उन राज्यों में सामाजिक कार्यकर्तों और सरकारी चिकित्सकों की ज़िम्मेदार टीमों को पूरी तरह से आगे बढ़ाये जाने की आवश्यकता भी है जहाँ लगातार लिंगानुपात में सुधार होता दिख रहा है. देश के समग्र विकास के लिए इस तरह की योजनाएं बनायीं जानी चाहिए पर जिस तरह से लड़कियों के लिए ममता सरकार ने बहुत आगे जाते हुए पूरे देश में उनके लिए काम करने के सरे कीर्तिमान बना डाले हैं उन पर गौर करते हुए उन्हें रोल मॉडल के तौर पर केंद्र सरकार को भी राज्यों की नीतियों को आगे बढ़ाने के बारे में सोचना ही होगा तभी यह सामाजिक समस्या पूरी तरह से दूर की जा सकेगी.     
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