संसद में प्रस्तुत किये गए दिल्ली पुलिस से सम्बंधित आंकड़ों ने वास्तव में सभी को चौंका ही दिया. गृह मंत्रालय की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि पिछले ३ सालों में दिल्ली पुलिस के ५०० जवानों/ अधिकारियों को विभिन्न मामलों में गिरफ्तार किया गया है. दिल्ली जहाँ देश की राजधानी है, जहाँ पूरे देश की सरकार भी बसती है, जहाँ के सपने बहुत सी आँखों में रहते हैं वहां पर पुलिस का यह हाल है तो अपराधियों का क्या होगा ? समाज में हर तरह के लोग रहते हैं और ये अधिकारी/ कर्मचारी भी आख़िरकार समाज से ही निकलकर सामने आते हैं. फिर यह कैसे सोचा जा सकता है कि समाज की बुराइयाँ किसी भी स्तर पर इन लोगों में नहीं होंगीं ?
आज पूरे देश में पुलिस का यही हाल है कहीं से भी सही सुधार की बात नहीं की जा रही है. केवल आज के समय के अनुसार सुविधाएँ और वेतन आदि देकर इन पुलिसकर्मियों को जीने लायक ज़रूरतें पूरा करने का अवसर तो दिया ही जाना चाहिए. दिल्ली जैसी जगह पर पुलिस पर बहुत दबाव रहता है जिसके कारण भी बहुत सारी समस्याएं आती रहती हैं. भ्रष्टाचार और अपराध अगर पुलिस में बढ़ रहा है तो इसका असर समाज पर भी हो रहा है. अपराधियों से मिले कुछ चुनिन्दा पुलिस कर्मी ही अन्य लोगों को इस मार्ग पर चलकर जल्दी पैसा बनाने की तरकीब बता देते हैं. जो लोग मानसिक स्तर पर बहुत मज़बूत होते हैं केवल वही इस मार्ग पर नहीं जाना चाहते वरना समाज में रहकर सारी सुविधाएँ जुटाने के लिए तो सभी लालायित रहते हैं.
आज भी समय है कि पूरे देश की पुलिस प्रणाली का अध्ययन किया जाये फिर सामाजिक, पुलिस के अवकाश प्राप्त अधिकारियों और अन्य लोगों से विचार करके पूरे तंत्र में सुधार का प्रयास तो किया जाना चाहिए और सब जानते हैं कि यह सारा एक साथ और एक रात में नहीं हो सकता है तो बस केवल कुछ प्रयास तो करना ही चाहिए वरना पुलिस की वर्तमान में आपस में चलने वाली होड़ जारी रहेगी, "कि तेरी पुलिस मेरी पुलिस से भ्रष्ट कैसे ?"
मेरी हर धड़कन भारत के लिए है...
nice
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