मेरी हर धड़कन भारत के लिए है...

गुरुवार, 9 जुलाई 2009

थाने भी "लाइन हाज़िर" नहीं "ऑन लाइन"

आख़िरकार सरकार ने देश के थानों को आधुनिकता के साथ चलाने की ओर एक कदम बढ़ा ही दिया। आज जिस तरह से हर बात में पुलिस पर ऊँगली उठाई जाती है उससे तो कुछ हद तक निजात मिल ही जायेगी। पुलिस के पास अब केवल एक काम नहीं है आज के समय में राजनैतिक रसूख वाले लोगों से भी सम्बन्ध बनाकर रखने होते हैं तभी शान्ति पूर्वक नौकरी चल पाती है , यदि हम सारे देश के अधिकारियों के बारे में आंकड़ें एकत्रित करें तो हर राज्य में कुछ ऐसे अधिकारी मिल जायेंगें जो कहीं भी ३ साल तक नहीं टिक पाए हों। कारण बस वही होता है कि उन्होंने किसी खद्दर धारी की चरण वंदना करने से इनकार कर दिया होगा बस तभी से उनका बोरिया बिस्तर कंधे पर ही रहता है। देश को अब भी अंग्रेजों के ज़माने के नियमों से चलाया जा रहा है पुलिस सुधार के लिए बहुत बड़ी बड़ी बातें तो की जाती हैं पर जब कुछ करने का समय आता है तो सारे ही पीछे खिसक जाते हैं।
आज आवश्यकता है कि सुधारों को आज के समय के अनुसार अमल में लाया जाए, देश के पास बहुत से काबिल सेवानिवृत्त पुलिस अधिकारी मौजूद हैं जो आज भी अपने सुझावों से देश को आगे ले जाने में सक्षम हैं। इन लोगों को अपने कार्यकाल में क्या समस्याएँ आई और उनको कैसे दूर किया जा सकता है यह जानना भी आवश्यक है। थाने में बिना जाए शिकायत तो हो जायेगी पर जब तक उसकी पैरवी भी नहीं की जायेगी तो कितना अमल होगा यह तो समय ही बताएगा। हाँ इतना तो अवश्य हो जाएगा कि लोग अपनी शिकायत सही समय से दर्ज करा सकेंगें। देश में बहुत कुछ "ऑन लाइन" हैं पर" लाइन" पर कुछ भी नहीं अच्छा हो कि देश के थाने इस तरह से ऑन लाइन न हों बल्कि वास्तव में वे लाइन पर आ जायें जिससे देश का कुछ भला हो सके और जनता की समस्याएँ कम हो सकें.
मेरी हर धड़कन भारत के लिए है...

3 टिप्‍पणियां:

  1. ओह भारतिय!! जय हो तुम्हारी!!

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  2. बात तो सही है इंतजार है पुलिस के आधुनिक होने का ।

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  3. मै पहली बार आयी हूँ , आपके ब्लॉग पे ...! करदाता ही तो हमेशा कसा जाता है ..कसाब के वकीलको तनख्वाह , वही करदाता दे रहे हैं , जिनके आप्तजन मुंबई ब्लास्ट में मारे गए ..! हैना ये विडम्बना ..!और कसाब को इस देशमे 'सुरक्षित ' रखनेका खर्च भी वही करदाता उठा रहे हैं ..! उसका 'क़ाबिल''वकील केस खींचता रहेगा ..और कसाब तथा , उसके साथी व्यंग कसते रहेंगे ..!नमन करें, अपने १५० साल पुराने घिसे पिटे कानून और उनपे अमादा रहनेवाली हमारी न्याय व्यवस्था को..!
    समय हो तो , India Evidence Act,Dhara,25/27 के बारेमे पढ़ें ..:

    http;//shama-kahanee.blogspot.com

    यहाँ 'गज़ब क़ानून ' के तहत , उस क़ानून की चर्चा कर , 'कब होगा अंत ' ये कथा भी लिखी है ..

    http://shamasansmaran.blogspot.com

    http;//lalitlekh-thelightbyalonelypath.blogspot.com

    http://kavitasbyshama.blogspot.com

    http://shama-baagwaanee.blogspot.com

    Aur Police reforms ke baareme bhee likha gaya hai..30 saalse uchhtam nyayalay kaa awmaan ho raha hai..!Reforms apnee sarkaren laagoo karengee nahee, kyonki, police department unkee jakad se nikal jo jayega!

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