मेरी हर धड़कन भारत के लिए है...

मंगलवार, 11 अगस्त 2009

चीनी थिंक टैंक की मंशा

लगता है चीन की सरकार को भारत से रिश्ते सुधारने में कोई खास दिलचस्पी नहीं है तभी तो भारत में सीमा विवाद और अन्य मसलों पर हुई १३ वीं बैठक के कुछ घंटों बाद ही चीन के इंटरनेशनल स्ट्रेटेजिक स्टडीज की पत्रिका में भारत के खिलाफ पूरे षड्यंत्र की रूप रेखा बताई गई है। इससे जुड़े बहुत सारे पूर्व सैनिक अधिकारी और कट्टर राष्ट्रवादी लोगों का मानना है कि भारत को भी यूरोप की तरह कई देशों में बांटा जा सकता है। रिपोर्ट में जहाँ अलगाव वाद को हवा देने की बात है वहीं हमारे पड़ोसियों को साथ लेकर विभिन्न क्षेत्रों में स्थानीय अलगाव वादियों को शाह देने की बात भी कही गई है। चीन का शुरू से ही यह रवैय्या रहा है कि एक तरफ़ तो पंचशील सिद्धांत की बात करता रहा और दूसरी तरफ़ उसने भारत पर हमला करने की मंशा भी पाले रखी और भारत को चौंकाते हुए हमला भी किया जिसमें हमारा बहुत बड़ा नुकसान भी हुआ था। आज यह सब इतना आसान तो नहीं परन्तु कोई किसी भी अलगाव वादी के साथ हर तरह की मदद करने को तैयार हो जाए तो इस तरह के आन्दोलनों को सँभालने की क्षमता अभी हमारे पास नहीं है। यह सही है कि हमने पंजाब, असोम और जम्मू कश्मीर की हिंसा और आन्दोलनों पर काबू पाया है पर चीन -पाक का खतरनाक गठजोड़ भारत के लिए सिरदर्द तो करता ही रहेगा। माओवादियों द्वारा जिस तरह से भारत में पैर पसारे जा रहे हैं कहीं यह चीन की इसी रणनीति का हिस्सा तो नहीं ? इस बात पर भारत सरकार को चीन सरकार से दो टूक पूछना चाहिए यहाँ पर यह सोच लेने से काम नहीं चलेगा कि यह तो कुछ सरकार से बाहर बैठे लोग ही सोच रहे हैं। कई बार छोटी सी सोच सही ढंग से नहीं देखे जाने के कारण ही बहुत बड़ी समस्या पैदा कर देती है जैसा कि हम पंजाब के मामले में देख ही चुके हैं कि किस तरह से एक समय पंजाब देश का सबसे अशांत क्षेत्र बन गया था। यह भी सही है कि विभिन्न देश अपने पड़ोसियों से निपटने के लिए इस तरह के बहुत से मामलों में विचार करते रहते हैं पर भारत के बारे में शायद चीन की मंशा पहली बार खुले तौर पर ज़ाहिर हुई है। इसमें जिस तरह से जातीय व्यवस्था से पनपे असंतोष का ज़िक्र किया गया है वह अपने आप में चिंता का विषय है क्योंकि तमाम शिक्षा और तरक्की के बाद अभी भी हम भारतीय इस जाति के कुचक्र से निकल पाने में सफल नहीं हो सके हैं। अच्छा हो कि भारत सरकार इन सभी मसलों पर भी चीन से बात करना सीखे। चीन तो इस बात पर भी नाराज़ हुआ करता है कि किसी देश ने बिना उसकी अनुमति कैसे दलाई लामा को अपने यहाँ आने का न्योता दे दिया ? फिर भी सारे देश चीन के आगे नत-मस्तक तो नहीं हो जाते ?

मेरी हर धड़कन भारत के लिए है...

1 टिप्पणी:

  1. भारत को कई हिस्सों में बाँट कर कई देश बनाए जाने की कल्पना एक चीनी ब्लॉगर के दिमाग की उपज है .

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