मेरी हर धड़कन भारत के लिए है...

रविवार, 16 अगस्त 2009

शाहरुख़ पर हाय तौबा क्यों ?


१७ अगस्त के हरिभूमि से ब्लॉग प्रिंट के सौजन्य से


कल अमेरिका में शाहरुख़ खान के साथ जिस तरह का व्यवहार किया गया उसे किसी भी हालत में उचित नहीं कहा जा सकता पर कोई किसी को अपने क़ानून का पालन करने से तो नहीं रोक सकता ? आख़िर अगर अमेरिका अपने को सुरक्षित रखने के लिए इस तरह का काम कर रहा है तो उसे किस तरह से अनुचित कहा जा सकता है ? एक खुला देश जिसने हर समय सभी का बिना किसी भेद-भाव के स्वागत किया पर कुछ सिरफिरे लोगों ने उसके खुले पन का फायदा उठाया जिसके कारण आज वहां जाने वाले किसी भी व्यक्ति को बहुत सख्त सुरक्षा जांच से गुज़रना पड़ता है। जिस किसी को अमेरिका के इस व्यवहार पर या किसी अन्य देश के व्यवहार पर आपत्ति है वो वहां न जाए। एक फिल्मी कलाकार के साथ ऐसा हुआ तो इतनी हाय तौबा पर जब डॉक्टर कलाम के साथ भारत में ऐसा हुआ तो कितने लोग जान पाए थे ? नहीं न क्योंकि कलाम साहब इन बातों को व्यवस्था का हिस्सा मानते हुए इसके लिए तैयार थे। पता नहीं भारत के बहुत सारे प्रसिद्द लोग भी अपने को सामान्य व्यक्ति कहलाना क्यों नहीं पसंद करते ? यदि व्यवस्था की आवश्यकता है तो किसी भी व्यक्ति को किसी भी तरह की जांच का सामना करना चाहिए। हो सकता है कि खान शब्द लगे होने के कारण उनके साथ जान बूझकर ऐसा किया गया हो ? इससे क्या पता चलता है ? कि कुछ ग़लत लोग पूरी कौम को ही संदेह के घेरे में ला देते हैं । सभी को पता होगा कि शाहरुख़ के पास भारत के दस्तावेज़ हैं पर किसी विशेष धर्म के लोगों के लिए खास जांचें करने के कारण भी यह घटना हुई होगी। एक बात और जो ग़लत है उसे सही नहीं कहा जा सकता पर बिना अमेरिका हमारा काम क्यों नहीं चलता ? दुनिया बहुत बड़ी और खूबसूरत है जहाँ कुदरत ने हर चीज़ खूब दिल खोलकर दी है तो क्यों हर बात के लिए अमेरिका जाने के बारे में ही सोचा जाता है ?

मेरी हर धड़कन भारत के लिए है...

4 टिप्‍पणियां:

  1. हमें किसी के सुरक्षा मामलों में नहीं अड़ना चाहिए। अड़ेंगे तो वो अड़ने भी नहीं देंगे। वहां जाने से बचना भी एक उपाय है। पर वहां जाने का लोभ ............. बन गया है रोग।

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  2. वैसे यह अमेरिका के सुरक्षा जांच का अंदरूनी मामला है जिसे बुरा लगता हो वह वहां न जाए !

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  3. Brad पिट मशहूर अभिनेता और एंजलिना जोली अब अगली बारी भारत आयें तब उनके सामान की जांच भी की जाए
    और अमरीका अपनी आतंरिक सुरक्षा को सब से ऊपर रखता है उसी का उदाहरण , भारत भी करे ---
    दुबई , शारजाह जानेवाले हरा यात्री की बैग से , इस्लाम के अलावा किसी भी धर्म पर आधारित चीज वस्तुएं , निकाल कर
    फेंक दीं जातीं हैं , वह सुरक्षा नहीं धार्मिक वर्चस्व दृढ रखने का रवैया भी भारत अपना ले तब और भी बढिया होगा क्यूं ?

    --
    - लावण्या

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  4. आपकी इस पोस्ट के जवाब में -"चिदंबरम जी का सामान्य व्यक्ति के रूप में सफ़र करना" का उदहारण भी दिया जा सकता है...अमेरिका अक्सर साबित करता रहा है की उसके देश की सुरक्षा की अहमियत ख्यातनाम लोगों की प्रतिष्ठा से अधिक है ...!!

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