मेरी हर धड़कन भारत के लिए है...

बुधवार, 19 अगस्त 2009

तालिबान का प्रवक्ता गिरफ्तार ..


कल पाकिस्तान में जिस तरह से तालिबान के प्रवक्ता मौलवी उमर को गिरफ्तार किया गया उससे कहीं पर तो लगता है कि पाक सेना या तो ठीक ढंग से काम कर रही है या फिर से दुनिया को दिखने के लिए पुराना राग आलाप रही है जिसमें सभी को यह लगे कि पाक आतंक के बहुत खिलाफ है और उसने संजीदगी से इस बात पर विचार करना शुरू भी कर दिया है। जो लोग पाक की फितरत को जानते हैं वे कभी भी इस बात से सहमत नहीं हो सकते कि पाक इतनी आसानी से कुछ करने वाला है ? हो सकता है कि अमेरिका ने पाक को कुछ कड़े कदम उठाने को कहा हो कि उसके बिना उसे आतंक के खिलाफ झूठी लड़ाई में और पैसा तब तक नहीं दिया जा सकता जब तक वह कुछ ठोस करके नहीं दिखाता। पाक को अब यह समझ आने लगा है कि जिन आतंकियों को उसकी सेना ने प्रशिक्षित किया था अब वही सब मिलकर उसी सेना के खिलाफ हो गए हैं। अच्छी तरह से प्रशिक्षित लोगों से पार पाना कुछ कठिन अवश्य होता है परन्तु नामुमकिन नहीं। आज पाकिस्तान अपने हालात के लिए ख़ुद ही जिम्मेदार है क्योंकि उसने केवल इस्लाम के नाम पर मुसलमानों को बहकाने का काम किया। आज दुनिया भर में पाक के एक विफल राष्ट्र होने की बातें की जा रही हैं भारत के लिए एक विफल पाक हमेशा ही बड़ा खतरा रहा है और रहेगा। जब भी घरेलू मोर्चों पर पाक सरकारों को दिक्कत आती है वे भारत के खिलाफ ज़हर उगलने लगती हैं उनका सारा ध्यान अपनी जनता को यह समझाने में ही निकल जाता है कि वे काफिर हिंदुस्तान के खिलाफ हैं और दुनिया के नक्शे से उसका नाम मिटने तक चैन से नहीं बैठेंगें।
आज जब सारा विश्व आर्थिक और सामाजिक तौर पर आगे बढ़ता जा रहा है तो मध्य कालीन सोच उसे पीछे खींच रही है। किसी भी समाज के आगे आने के लिए शिक्षा की बहुत आवश्यकता होती है परन्तु कुछ इस्लामी देशों को छोड़ दिया जाए तो वहां शिक्षा कि बयार अभी भी पहुंचनी बाकी है। भारत में ही देखा जाए तो मुसलमानों के लिए बहुत सारी कल्याणकारी योजनायें चल रही हैं उनसे बहुत लाभ भी हुआ है पर अभी भी बहुत कुछ पाया जाना शेष है। अच्छा हो पाकिस्तान अपनी हरकतों से बाज़ आए और यह ठीक से समझ ले कि आज दुनिया के साथ चलना ही सभी के लिए बेहतर है न कि अपना सुर अलग से छेड़ने में। पाक को आतंकियों पर सख्त कार्यवाई करनी ही होगी तभी जाकर उसका व अन्य पड़ोसियों का कल्याण हो सकेगा।

मेरी हर धड़कन भारत के लिए है...

1 टिप्पणी:

  1. आश्चर्य ..आपको अमेरिका की नीयत पर भरोसा है...आप सोचते हैं ...वास्तव में अमेरिका एशिया महाद्वीप में शांति चाहता है...तो फिर उसे मंदी से उबारेगा कौन..??

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