मेरी हर धड़कन भारत के लिए है...

रविवार, 23 अगस्त 2009

बुद्धा गार्डन मामला..

बुद्धा गार्डन मामले में कोर्ट ने जिस तरह से राष्ट्रपति के सुरक्षा गार्डों को सजा सुनाई है वह हर तरह से उचित ही है। देश के राष्ट्रपति की सुरक्षा में लगे हुए लोग ही अगर देश के संवैधानिक प्रमुख के आवास के आस-पास ही इस तरह की हरकतें करने लगे तो विश्वास का संकट उत्पन्न हो जाता है। कोर्ट ने २ को उम्रकैद तथा २ अन्य को १० वर्ष सश्रम कारावास की सजा सुनाई है। घटना सन् २००३ की है जिसमें दलाई लामा के एक कार्यक्रम में आई हुई युवती के साथ इन सुरक्षा कर्मियों ने दुष्कर्म किया था। यह सही है की देश की न्याय व्यवस्था कुछ धीमी गति से चलती है पर देर से ही सही वह न्याय कर पाने में सक्षम है। किसी भी निर्दोष को सजा न हो इस कारण कोर्ट में इतना अधिक समय लग जाता है कि कई बार न्याय का कोई मतलब ही नहीं रह जाता।
कोर्ट के इस निर्णय में सख्ती तो है साथ ही संदेश भी की ज़िम्मेदारी के पद पर बैठे लोगों द्वारा इस तरह का कुछ भी कानूनी उल्लंघन बड़ा अपराध है। जो लोग सुरक्षा से जुड़े हुए हैं वे इस तरह की हरकत में लगे हो और लोग उनसे भय खाते हुए जियें तो यह देश के लिए दुर्भाग्य की बात है। इस तरह की घटनाएँ मानसिक विकृतियों के कारण होती है अच्छा हो कि सुरक्षा में लगे लोगों के तनाव को घटाने के लिए नियमित रूप से कुछ उपाय किए जाए। विशिष्ट लोगों की सुरक्षा में लगे लोगों पर काम का दबाव बहुत अधिक रहता है पर इसका मतलब यह नहीं कि वे इस तरह की हरकतें करने लगें। फिर भी देश के सुरक्षा कर्मियों के जीवन के इस पहलू पर भी विचार किए जाने की आवश्यकता है। साथ ही ज़िम्मेदारी के पद पर बैठे लोगों को इस तरह के मामलों में कठोर सज़ा भी आवश्यक है जिससे इन लोगों में क़ानून की इज्ज़त करने की आदत भी बनी रहे।

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3 टिप्‍पणियां:

  1. हमारा कानून सजा देने में सक्षम है परंतु धीमे इस न्याय प्रक्रिया में तेजी की जरुरत है।

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  2. der se saza mili..lekin mili jarur...

    yese logo ko aur sakhat saza milani chahiye.....

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