मेरी हर धड़कन भारत के लिए है...

शुक्रवार, 4 सितंबर 2009

पशुपति नाथ विवाद

नेपाल में आए दिन जिस तरह से कुछ तत्व भारत विरोधी रवैय्या लगातार अपनाए हुए हैं वह किस ओर संकेत कर रहा है अभी इसे ठीक से समझा जाना भी अरूरी है और वहां की सरकार को इस बात के लिए कहना भी ज़रूरी है कि हर बात भारत के विरोध पर ही क्यों टिक जाती है। ताज़ा विवाद वही है कि मन्दिर में पुजारी की नियुक्ति किस आधार पर हो ? विश्व के किसी भी हिस्से में इन सब बातों में परम्पराओं का ही ध्यान रखा जाता है पर प्रचंड सरकार ने जिस तरह से ३०० साल की परम्परा की धज्जियाँ उडायीं थीं आज वही नेपाल को परेशान कर रही हैं। भारतीय पुजारियों को हटाने की मंशा केवल माओवादियों की ही थी जिसके चलते एक नए विवाद का जन्म हो गया। पहले भारतीय पुजारियों को हटाने पर प्रदर्शन हुए और फिर बाद में अब उनको पुनः पुजारी बनाने पर भी विवाद थमने का नाम नहीं ले रहे हैं। अच्छा हो कि नेपाल सरकार इन सब बातों पर अपनी संसद में अच्छे से विचार कर ले तथा इसका कुछ सही हल निकाल ले ? वरना कभी यह छोटा सा विवाद कहीं किसी स्तर पर किसी बड़े विवाद को हवा दे सकता है। कहीं ऐसा न हो कि इस विवाद की आंच भारत नेपाल संबंधों तक पहुँचने लगे ? समय रहते यदि इसे ठीक से नहीं सुलझाया गया तो यह भी एक दूसरे पर उंगली उठाने का करण बन सकता है।

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