आज १४ सितम्बर को देश एक बार फिर अपनी राष्ट्रभाषा से छल करेगा क्योंकि आज घोषित तौर पर हिन्दी दिवस है। देश में इन दिवसों को मानाने की परम्परा का बहुत महत्त्व रहा है पर क्या इनकी कोई सार्थकता है ? कुछ विभाग अति उत्साह में हिन्दी सप्ताह या हिन्दी माह भी मनाने लगे हैं । देश में हिन्दी या अन्य दिवसों को मनाने की इस परम्परा ने लगता है कि हम सभी को उन कारणों से बहुत दूर कर दिया है जिनको ध्यान में रख कर यह शुरू किए गए थे। यदि हिन्दी का कल्याण इस तरह के ढकोसलों से होना होता तो कब का हो चुका था । आज के समय में अधिक आवश्यकता इस बात की है कि हम अपने प्रयोग की भाषा के तौर पर हिन्दी का प्रयोग करना सीखें । पर हम सभी अपने बच्चों में संस्कार की बात करते हैं और उनको भारतीय भाषा के किसी भी स्कूल में पढ़ना नहीं चाहते। मैं यहाँ पर जानबूझकर भारतीय भाषा शब्द का उपयोग कर रहा हूँ क्योंकि जब तक सभी भारतीय भाषाओं पर ध्यान नहीं दिया जाएगा पूरे भारत में हिन्दी की स्वीकार्यता नहीं बढाई जा सकेगी। देश की विविधता देश का बल होना चाहिए न कि देश की कमजोरी ?
कोई माने या न माने पर इस देश में क्या सारे संसार में हिन्दी के प्रचार में टी वी का बहुत योगदान रहा है, कुछ लोकप्रिय धारावाहिकों ने देश में हिन्दी की ऐसी बयार ला दी जो सरकारी प्रयासों से अभी तक नहीं आ पाई थी। हिन्दी को लोकभाषा बनने का प्रयास होना चाहिए सरकारी स्तर पर जब इसे ढोया जाता है तो यह बहुत बड़ी नौटंकी सी लगती है। क्या हिन्दी इसी लिए है कि साल में एक बार हिन्दी दिवस मनाकर, भाषण देकर हिन्दी को १३ सितम्बर तक फिर से अलमारी में बंद कर दिया जाए ? नहीं अब समय आ गया है कि सभी भारतीय भाषाओं को पूरा सम्मान दिया जाए और हिन्दी दिवस को भारतीय भाषा दिवस कहा जाए। सरकारी स्तर पर की गई ग़लतियों से कभी भी सीखा जा सकता है पर क्या आज कोई इस ग़लती को स्वीकारने के लिए आगे आएगा या अभी हमें अभी कई और हिन्दी दिवस इन्हीं ढकोसलों को ढोते हुए ही मनाने होंगें ?
मेरी हर धड़कन भारत के लिए है...
बाहरी प्रयासों से नहीं खुद हिन्दी अपनी अंदरूनी ताकत से व्यापक भूगोल को प्रभावित करेगी ! जल्द ही ! अब इसके उपयोग की क्रांतिक सीमा आ पहुँची है !
जवाब देंहटाएंयस यू आर राईट वी शुड प्रेफ़र हिन्दी।
जवाब देंहटाएंजिस देश की राजभाषा हिंदी हो ...वहां हिंदी दिवस मनाया जाना ही अपने आप में राजभाषा की स्थिति को बयान कर देता है ...आपकी साफगोई सराहनीय है ..!!
जवाब देंहटाएंआज हम अन्तरजाल पर भी बेहतरी से हैं । आभार
जवाब देंहटाएंमरा-मरा कहते-कहते राम-राम आ ही जाता है, यह सर्वविदित तथ्य है। पाठशालाओं में यह भी सिखाया जाता है कि रसरी आवत जात ते सिल पर होत निसान। यदि आपके कथ्यों की सत्यता को स्वीकार भी लिया जाए तो हर्ज़ क्या है इन तथाकथित ढकोसलों से। बात तो बन ही जाएगी। नौटंकी में मनोरंजन के साथ-साथ कुछ संदेश भी अवश्य ही रहता है। हिंदी दिवस पर इस तरह के विचार अब आम हो गए हैं जो कच्चे-पक्के फल की तरह खट्टे-मीठे होते हैं। सत्य-असत्य के बीच हिंदी की हर विधा में प्रगति प्रशंसनीय है। हिंदी की प्रगति में आपका योगदान सराहनीय है, धन्यवाद। हिंदी दिवस की शुभकामनाऍ।
जवाब देंहटाएंब्लाग जगत में आज हिन्दी के प्रति सबो की जागरूकता को देखकर बहुत अच्छा लग रहा है .. हिन्दी दिवस की बधाई और शुभकामनाएं !!
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