कल सरकार और वायुसेना ने जिस तरह से ज़ोर देकर कहा की चीन की तरफ़ से कोई घुसपैठ नहीं हुई है उस पर देश को ज़रा कम यकीन आ रहा है क्योंकि जब मीडिया में ये सारी बातें बहुत उछल चुकीं तब जाकर सरकार और वायुसेना ने अपनी तरफ़ से आधिकारिक बयान जारी किए। सरकार ने जल्दी में किसी गोलीबारी में भारत तिब्बत सीमा पुलिस के जवानों के घायल होने की ख़बर पर कहा कि यह घटना दो हफ्ते पहले की है। यह सही है कि वर्तमान सरकार कुछ मामलों पर बहुत ही शांतिपूर्वक काम करना चाहती है और कर भी रही है। आज के समय में मीडिया इतना स्वतंत्र है कि सरकार चाहे भी तो कुछ छुपा नहीं सकती है। पता नहीं क्यों किस सरकारी नीति के तहत इस तरह की जानकारी मीडिया में नहीं दी जाती है पर ऐसी जानकारी यदि तुंरत मीडिया को दे दी जाए तो जनता यह जान सकेगी कि वास्तव में क्या हो रहा है। चीन और पाक की तरफ़ से पहले ही इतना कुछ किया जा चुका है कि आम भारतीय आज भी इन दोनों देशों को संदिग्ध ही मानता है। अब यह ज़िम्मेदारी सरकार पर ही आती है कि समय रहते इन सभी बातों में से क्या और कितना बताना है यह अपने आप ही तय करे। जानकारी देने से कोई खास नुकसान नहीं होने वाला है। लगता है कि जब बीजेपी ने ही इस मामले को उखाड़ना शुरू किया तो सरकार को अपनी तरफ़ से बयान देना पड़ा और वायुसेना से भी कहा गया कि वहां से भी बयान आना चाहिए। देश को सरकारी भाषा से ज़्यादा सेना की बातों पर भरोसा है। चीन के पुराने इतिहास को देखते हुए वह कुछ भी कर सकता है। हालाँकि अब उसे भी पता है भारत एक ताकत है और अब ६२ की तरह युद्ध नहीं लड़ा जा सकता है। फिर भी सरकार को इन बातों की तह तक जाकर केवल बयान बाजी से आगे आकर चीन से बात भी करनी चाहिए.
मेरी हर धड़कन भारत के लिए है...
किसपर विश्वास किया जाए .. यह भी समझ में नहीं आता !!
जवाब देंहटाएंहमें चीन पर विश्वास करना चाहिये..... :)
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