मेरी हर धड़कन भारत के लिए है...

मंगलवार, 29 सितंबर 2009

कश्मीर में साहस ...

राजौरी जिले की रुखसाना ने जिस साहस का परिचय देकर आतंकियों के हौसले को पस्त कर दिया वह निश्चित ही प्रशंसा का विषय है। एक १८ साल की लड़की ने अपने साहस से उसके माता पिता को बेरहमी से पीट रहे आतंकियों से मोर्चा लिया और अपने भाई के सहयोग से एक आतंकी को मार डाला तथा दूसरे को घायल कर दिया। बात यहाँ पर साहस की हो रही है महिलाओं को अबला और कमज़ोर समझा जाता और माना जाता है पर ऐसा कुछ भी नहीं है अवसर आने पर वे चंडी और दुर्गा का रूप धर कर आतंक के महिसासुर का वध करने को सदैव तैयार रह सकती हैं। बात यहाँ पर केवल इतनी है कि विषम परिस्थियों में भी यदि अपने साहस को बनाये रखा जाए तो कोई कारण नहीं है कि किसी भी विपरीत परिस्थिति का सामना किया जा सकता है। जम्मू के राजौरी कि इस लड़की के अदम्य साहस ने उसे सुर्खियों में ला दिया है उसकी वीरता को सलाम है क्योंकि उसने यह वीरता उस इलाके में दिखाई है जहाँ पहुँचने में पुलिस को भी समय लगता है। आज जम्मू और कश्मीर में जिस तरह से माहौल आतंकियों के पक्ष में कुछ हद तक होता जा रहा है उससे भारत सरकार और सेना के मानवीय पक्ष की जीत हो सकती है। मानवीयता के आधार पर कुछ भी किया जाए वह बहुत कम होता है। इस तरह के माहौल में सेना और स्थानीय प्रशासन की ज़िम्मेदारी बहुत बढ़ जाती है। फिर भी रुखसाना को सलाम है कि उसकी दलेरी ने आतंकियों को कुछ चुनौती तो दी ही है....

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