मंगलवार, 6 अक्तूबर 2009
माया की मनमानी...
कल आख़िरकार सर्वोच्च न्यायालय को फिर से माया सरकार को कड़ी फटकार लगानी पड़ी, न्यायालय ने बहुत साफ शब्दों में यह भी कहा कि माया सरकार उसी तरह से राजनीति खेल रही है जैसे वह विधान सभा में खेलती है। न्यायमूर्तियों ने इस बात पर कड़ा रुख़ अपनाया कि सरकार आदेश की मनमानी व्याख्या कर रही है। पीठ ने राज्य सरकार की यह बात भी नहीं मानी कि आदेश में जो कहा गया है उसका पालन किया जा रहा है। पीठ ने कहा कि यदि सरकार को कुछ पूछना है तो सीधे यहाँ से पूछा जाना चाहिए किसी भी आदेश की मनमानी व्याख्या नहीं की जा सकती है। पीठ ने यह भी कहा कि " हमने आपके शपथ पत्र को बहुत तकलीफ के साथ पढ़ा है आपके शपथ पत्र में गंभीरता की कमी है।" यदि सरकार देश की सबसे बड़ी अदालत के सामने इतनी सफाई से झूठ बोल कर मामले को घुमाना चाहती है तो यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है। राज्य सरकारों को यह पता ही होना चाहिए कि कब और कैसे क्या करना चाहिए तथा संवैधानिक मर्यादाओं का पाठ उसे अच्छी तरह से आना भी चाहिए। एक राज्य सरकार से यह आशा तो की ही जाती है कि वह संविधान के अनुसार व्यवहार करेगी ? देश में संस्थाओं की अनदेखी करने का प्रचलन सा होता जा रहा है, वह बहुत ही बुरा उदाहरण है। पीठ ने यह भी कहा," राज्य सरकार जो भी कह रही है वह आंखों में धूल झोंकने के समान है यदि सरकार को कुछ स्पष्टीकरण चाहिए तो उसे सीधे ही यहाँ संपर्क करना चाहिए।" अब इस मामले में ६ अक्टूबर को सुनवाई होनी है। पर एक बात तो तय है भी इस देश में जो चाहे जब चाहे कानून की धज्जियाँ उड़ा सकता है और कानून केवल उसे समझाने का काम ही करता रह जाता है। फिर भी एक संवैधानिक ढंग से चुनी सरकार का इस तरह का आचरण बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण है।
मेरी हर धड़कन भारत के लिए है...
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
thik hai.
जवाब देंहटाएंआशुतोष जी, इस देश के नेतावो में शर्म नाम की चीज तो रह ही नहीं गई है, अगर होती तो नैतिकता के आधार पर ही जो शर्म वाली बात माया के लिए सुप्रीम कोर्ट ने की थी, अब तक उत्तरप्रदेश में मायावती की सरकार इस्तीफा दे चुकी होती ! साथ ही यह न सिर्फ मायावती के लिए बल्कि मनमोहन सिंह के लिए भी उतनी ही शर्म की बात थी क्योंकि देश के कर्ता धर्ता वो है ! उनके राज टेल यह सब हो रहा है, जनता बुनियादी सुभिधावो के लिए त्राहिमान है और ये अपनी धुन पकडे बैठी है ! जिस राज्य की सरकार पर सुप्रीम कोर्ट का ही भरोषा न रहा हो उस पर जनता कैसे विस्वास करेगी ?
जवाब देंहटाएंअब तो हमें उल्टे यह कहना चाहिए कि सुप्रीम कोर्ट अपना काम तो ठीक से करता नहीं और नेतावो के साथ पॉलिटिक्स खेलने चला है ! मायावती को जनता ने चुना है, तुम कौन होते हो उसे धमकाने वाले, जो करेगी जनता करेगी आखिर हमारा देश लोकतांत्रिक देश है भाई ?
बहुत अच्छा लिखा है आपने....
जवाब देंहटाएंये मायावती है... इन्होंने कोर्ट के आदेशों को भी खेल समझ रखा है...तभी तो आज मायावती के मुख्य सचिव को सुप्रीमकोर्ट ने आज तलब किया है... शायद अब मायावती की क्लास लग जाये...। भैय्या जी लिखिते रहिये....