मेरी हर धड़कन भारत के लिए है...

रविवार, 25 अक्तूबर 2009

फिर से वही चेहरे..

आखिरकार कल शाम को कांग्रेस ने अपने महाराष्ट्र और हरियाणा के मुख्य मंत्रियों के नाम पर फ़ैसला ले ही लिया। वैसे भी जब से सोनिया गाँधी के हाथ में कांग्रेस की कमान आई है तब से बहुत सारे फैसले लेने की प्रक्रिया में बदलाव महसूस किया जाने लगा है। यह सही है कि बिखरे विपक्ष का होना भी इस बार कांग्रेस के हक में चल गया है पर इस बात से उन मुख्य मंत्रियों के काम काज को कम नहीं कहा जा सकता है। महाराष्ट्र में पिछले वर्ष मुंबई हमले के बाद अशोक चव्हाण ने वहां पर विकल्पहीनता की स्थिति में शपथ ली थी पर उन्होंने कुछ काम चुप चाप और बिना शोर शराबे के भी किए पर अभी भी बहुत कुछ किया जाना बाकी है। मुंबई या पूरा देश ही विकास के नए आयाम चाहता है और ऐसे में जो भी काम करेगा जनता उसे अवसर अवश्य देगी। हरियाणा में भूपेन्द्र सिंह हुड्डा ने पिछले बार के चुनावों जैसा ही अपने को समझा जबकि तब से राज्य कि स्थिति में बहुत सारा बदलाव आ गया है। वे इस बदलाव को भांप नहीं पाए उन्होंने अपनी पिछली लोकप्रियता को अभी तक भी चलता माना। हाँ यह अवश्य है कि यदि सोनिया गाँधी ने मई में चुनाव कराने की झंडी दिखा दी होती तो शायद कांग्रेस का प्रदर्शन कुछ बेहतर होता। पिछली बार की तरह हुड्डा के लिए उतना आसान नहीं होगा वैसे केंद्रीय मंत्री कुमारी शैलजा की ऊर्जा का उपयोग उन्हें हरियाणा भेज कर अच्छे से किया जा सकता था पर शायद कांग्रेस के लाडले हुड्डा अभी भी पहली पसंद हैं यह ठीक भी है कि बहुत दिनों बाद कोई हरियाणा में अपनी सरकार बचा पाने में सफल हो पाया है। फिल हाल देश के सभी मुख्य मंत्रियों को देश के विकास के लिए अपने राज्यों में पूरा ध्यान देना चाहिए जिससे भारत का भविष्य और सुंदर हो सके.

मेरी हर धड़कन भारत के लिए है...

1 टिप्पणी:

  1. हुड्डा की २७ सीट कम होना और चोटाला की २५ ज्यादा आना कांग्रेस की नैतिक हार है, लेकिन लोकतंत्र में संख्या बल चलता है इसलिए अल्ला मेहरबान तो हुड्डा पहलवान.......

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