एक ऐसी हड़ताल जो पता नहीं कितनों पर भारी आपदा ला चुकी है और पता नहीं कितनों को भारी पड़ने जा रही है ? चिकित्सा से जुड़े किसी भी व्यक्ति के लिए हड़ताल जैसा शब्द होना ही नहीं चाहिए और यदि उन्हें इस तरह से ही हड़ताल करनी ही है तो उन्हें राजनीति को अपना पेशा बना लेना चाहिए। देश में स्वास्थ्य व्यवस्था वैसे ही चरमरायी हुई है और बिहार, उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों में तो यह बहुत बुरी दशा में है। ऐसी स्थित में जब हड़ताल हो जाती है तो मरीजों के पास कोई चारा नहीं बचता है। देश में हर बात के लिए हड़ताल करना एक आम बात है पर इस तरह से जूनियर डॉक्टर १० दिन से हड़ताल पर हैं और अभी तक कुछ ठोस नहीं किया जा पाया है। ऐसा नहीं है की इसमें सारी ग़लती डॉक्टर लोगों की ही हो पर राज्य सरकार जिस पर सारी व्यवस्था को सुचारू ढंग से चलाने का उत्तर दायित्व है वह क्या कर रही है ? हो सकता है कि डॉक्टर कुछ अनुचित मांगे लेकर आ गए हो जिन्हें मानना सरकार के लिए सम्भव न हो ? फिर भी कुछ भी हुआ है या कैसा भी हुआ है अब सभी पक्षों को बैठ कर अपने मुद्दों को सामने रखना चाहिए जिससे जल्दी ही इस समस्या का समाधान निकाला जा सके। देश इस तरह कि हड़तालें नहीं झेल सकता है जिसमें पहले से ही बदहाल तंत्र हड़ताल के कारण बदतर हालत में पहुँच जाए ? चिकित्सकों को भी यह नहीं भूलना चाहिए कि उनके भरोसे पता नहीं कितने लोग बड़े अस्पतालों तक पहुँचते हैं ? इसमें बहुत से तो ऐसे होते है जिन्हें हड़ताल का पता ही नहीं होता ? उन्हें शहर आने पर ही पता चलता है कि यहाँ तो हड़ताल चल रही है ? सरकार -डॉक्टर सभी को मिलकर जल्द ही इस मामले पर ध्यान देकर मरीजों पर ध्यान देना चाहिए..
मेरी हर धड़कन भारत के लिए है...
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें